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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
– फोटो : अमर उजाला
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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की जांच में मिली फर्जी मार्कशीट में शिक्षा माफिया ने मनमाने अंक दर्ज कराए हैं। इसमें 85 से 89 फीसदी अंक दर्शाते हुए सभी को प्रथम श्रेणी में पास दिखाया गया है। इन मार्कशीट का उपयोग सरकारी नौकरी में भी होने की आशंका है।
बीए, बीएससी, बीकॉम समेत मैनेजमेंट की बनवाई गई जाली मार्कशीट में सभी के अंक 85 से 89 फीसदी हैं। बीएससी की मार्कशीट में अनिल कुमार के पूर्णांक 1250 में से 1101 अंक दर्ज हैं। इनका प्रतिशत 88.08 फीसदी है। अनिल कुमार नाम से ही बनी बीएससी वोकेशनल की जाली मार्कशीट में 1250 में से 1097 अंक प्राप्तांक के तौर पर दर्ज हैं। इनके अंकों का प्रतिशत 87.76 फीसदी है। मनोज कुमार के नाम से बनी बीकॉम वोकेशनल की मार्कशीट में 950 पूर्णांक हैं और इसमें से 845 अंक दर्ज किए हैं। इनका औसत 88.94 फीसदी होते हैं।
फर्जी मार्कशीट पर अधिकारियों के हस्ताक्षर व मुहर
शिक्षा माफिया ने जाली मार्कशीट में विश्वविद्यालय के तत्कालीन अधिकारियों के नाम और हस्ताक्षर भी दर्ज किए हैं। मार्कशीट पर तत्कालीन कुलसचिव शत्रुघ्न सिंह का नाम और हस्ताक्षर है। इसके भी फर्जी होने की आशंका है। दो-तीन मार्कशीट पर कुलसचिव के नाम नहीं है, केवल हस्ताक्षर दर्शाए हैं।
मथुरा के अधिकारी से प्रमाणित है मार्कशीट
विश्वविद्यालय में जो मार्कशीट सत्यापन के लिए आई है, उसमें मथुरा के बेसिक शिक्षा अधिकारी और मांट के खंड शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर हैं और इन मार्कशीट को उनकी ओर से प्रमाणित किया गया है। इससे आशंका है कि ये छात्र मथुरा के हैं और सरकारी नौकरी में भी इन जाली मार्कशीट का प्रयोग हो सकता है।
मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक की फर्जी मार्कशीटें
विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट बनाने का खेल पुराना है। यहां 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की भी फर्जी मार्कशीट बन गई थी। ये मार्कशीटें तो हस्तलिखित थीं, जिस पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों के हस्ताक्षर और मुहर तक लगे थे।
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