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जगमग गुरुद्वारा गुरु का ताल (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला
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ताजनगरी के लोगों के लिए नया साल शुभ हो, इसके लिए शहर के तमाम बड़े धर्मस्थलों में तैयारी शुरू हो गई है। मनकामेश्वरनाथ मंदिर, रावतपाड़ा, कैलाश महादेव मंदिर, सिकंदरा, खाटू श्याम मंदिर, जीवनी मंडी, गुरुद्वारा गुरु का ताल में नए साल पर आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की हुजूम उमड़ेगा। इधर, कोरोना ने फिर से शहर में दस्तक दी है। भीड़भाड़ वाले आयोजनों में कोविड नियमों का पालन चुनौती बनेगा।
नए साल पर भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर और गुरुद्वारा प्रशासन ने अपने स्तर से तैयारियां शुरू कर दी हैं। दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं के बीच सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए सेवकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सभी धार्मिक स्थल पर मास्क जरूरी कर दिया है। बिना मास्क के धार्मिक स्थल में पहुंचने वाले लोगों को प्रवेश नहीं मिलेगा। सभी धर्म गुरुओं ने अपने स्तर से पूरी तैयारी है , लेकिन प्रशासन का अभी तक नए साल पर धार्मिक स्थल पर पहुंचने वाली भीड़ को नियत्रिंत करने व दो गज की दूरी का पालन कराने के लिए कोई आदेश नहीं आया।
गर्भगृह में प्रवेश पर रोक
गर्भगृह में किसी भी भक्त को प्रवेश नहीं मिलेगा। मंदिर सुबह 6.30 बजे खुलेगा और रात 10.30 बजे के बाद बंद हो जाएगा। भीड़ को रोकना हमारा काम नहीं है। ये काम प्रशासन अपने स्तर से करें। – महंत योगेशपुरी, मनकामेश्वरनाथ मंदिर
मास्क पर मिलेगा प्रवेश
कैलाश महादेव मंदिर के महंत गौरव गिरी ने बताया कि ‘कैलाश महादेव मंदिर के पांच पट हैं, जिनमें से सिर्फ दो पट खुलेंगे। एक पट से भक्तों क ो प्रवेश मिलेगा दूसरे पट से निकासी। गर्भगृह में प्रवेश उन्हीं भक्तों को मिलेगा, जो मास्क लगाकर आएंगे।’
लंगर की जगह प्रसादी
गुरुद्वारा गुरु का ताल के बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि ‘गुरु के ताल स्थित गुरुद्वारे में हर साल नए साल पर भीड़ अधिक पहुंचती है। इस साल भी एक लाख से भी ज्यादा भीड़ आएगी। कोरोना को देखते हुए। हम नए साल पर लंगर न करा कर भक्तों को प्रसादी बांट कर विदा कर देंगे, जिससे लोगों की भीड़ एकत्रित न हो।’
दूरी का पालन मुश्किल
खाटू श्याम मंदिर के महंत अनिल मित्तल ने बताया कि खाटू श्यामजी के मंदिर में नए साल पर भक्त दर्शन करने पहुंचेंगे। आगे के पट से श्रद्धालुओं को प्रवेश देंगे और बाकी के तीन पटों से निकासी होगी। मास्क के बिना भक्तों को प्रवेश नहीं मिलेगा। मंदिर में दो गज की दूरी का पालन कराना बहुत ही मुश्किल का काम है।
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