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आगरा पुलिस
– फोटो : अमर उजाला
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कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर पुलिस के अधिकार काफी हद तक बढ़ जाएंगे। कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर कमिश्नर अपने स्तर से निर्णय ले सकेंगे। जिलाधिकारी के पास फाइल नहीं भेजनी पड़ेगी। अनुमति का झंझट खत्म हो जाएगा।
इस प्रणाली में एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियां पुलिस को मिल जाएंगी। पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने, गुंडा एक्ट लगाने, गैंगस्टर एक्ट तक में कार्रवाई कर सकेगी। इनके लिए जिलाधिकारी से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
कमिश्नर कानून व्यवस्था पर सीधे निर्णय लेंगे
सेवानिवृत्त सीओ बीएस त्यागी ने बताया कि जिन महानगरों में कमिश्नर प्रणाली लागू नहीं हैं, वहां पर पुलिस हर फाइल जिलाधिकारी के पास भेजती है। कमिश्नरी व्यवस्था से पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे। कमिश्नर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सीधे निर्णय ले सकेंगे। किसी आयोजन की अनुमति भी कमिश्नर ही देंगे। निरोधात्मक कार्रवाई भी सीधे कर सकेंगे।
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अधिकारियों की संख्या बढ़ने से निगरानी बढ़ेगी
डीजीसी क्राइम बसंत गुप्ता ने बताया कि प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव आएगा। पुलिस की शक्तियां बढ़ जाएंगी। पुलिस अधिकारियों की संख्या बढ़ने से निगरानी बढ़ जाएगी। शांति भंग के मामले में पुलिस सीधे कार्रवाई कर सकेगी। इससे पीड़ितों को फायदा मिलेगा।
पुलिस को मिल जाएंगी मजिस्ट्रेट की शक्तियां
सेवानिवृत्त डीआईजी महेश कुमार मिश्र ने कहा कि पुलिस को मजिस्ट्रेट की शक्तियां मिल जाएंगी। अब तक बड़े शहरों में ही यह व्यवस्था लागू है। शांति भंग और 107-116 की कार्रवाई में एसीपी की कोर्ट में पेश होना होगा। आईपीएस अधिकारियों की संख्या बढ़ेगी।
ये होंगे फायदे
– आपात स्थिति में कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
– पुलिस कमिश्नर खुद फैसला लेकर कार्रवाई के लिए निर्देशित कर सकेंगे।
– प्रदर्शन, किसी आयोजन, रूट प्लान की अनुमति आदि के लिए जिलाधिकारी के पास नहीं जाना होगा।
– दंगा होने की स्थिति में कितनी फोर्स लगाई जानी है। लाठीचार्ज करना है या नहीं, इसकी अनुमति भी नहीं लेनी पड़ेगी।
– होटल, बार और हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास होगा।
– जमीन से संबंधित विवाद के निस्तारण के लिए भी अधिकार पुलिस के पास ही पहुंच जाएंगे।
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