[ad_1]
ख़बर सुनें
विस्तार
कोरोना संक्रमण की वजह से दो वर्ष तक स्कूलों का संचालन ऑनलाइन होने से बच्चों में स्कूल फोबिया के मामले सामने आने बंद हो गए थे। ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन सुचारू होने के बाद फिर से मनोचिकित्सकों के पास बच्चों में स्कूल फोबिया होने के मामले पहुंचने लगे हैं। बच्चे स्कूल जाना नहीं चाहते और आनाकानी करते हैं।
आगरा के मनोचिकित्सक डॉ. यूसी गर्ग ने बताया कि स्कूल फोबिया के हर हफ्ते चार से पांच मामले पहुंच रहे हैं, जबकि कोरोना काल में दो वर्ष ऑनलाइन पढ़ाई कराए जाने पर इस तरह के मामले आना बंद हो गए थे। स्कूल फोबिया होने की वजह से बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं। सोते रहते हैं, बार-बार आवाज देने पर भी नहीं उठते। कुछ बच्चे स्कूल में ही रोने लगते हैं। अभिभावकों को उन्हें लेने के लिए जाना पड़ता है। कक्षा दो से छह तक के बच्चों में स्कूल फोबिया की शिकायत मिल रही है।
छोटे बच्चों पर ज्यादा भार न डालें
मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के मनोवैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र सिंह यादव का कहना है कि बच्चे दो वर्ष कोरोना की वजह से स्कूलों दूर रहे हैं। स्कूलों को भी चाहिए कि छोटी कक्षा के बच्चों पर अधिक वजन न डालें। वह धीरे-धीरे ऑफलाइन पढ़ाई के माहौल में ढल जाएंगे। पढ़ाई के साथ खेलकूद व विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों पर भी जोर देना चाहिए।
[ad_2]
Source link