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छठ पूजा
– फोटो : istock
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आगरा में सूर्योपासना का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। सुबह महिलाओं ने स्नान कर घर की सफाई की। इसके बाद छठ गीतों के साथ चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल खाकर व्रत की शुरूआत की। पूर्वांचल सेवा समिति के अध्यक्ष शंभू चौबे ने बताया कि इस व्रत में सफाई और परंपरा का विशेष ध्यान रखा जाता है। शुक्रवार से घर के अन्य सदस्यों का उस कमरे में प्रवेश बंद होगा जिसमें व्रती महिलाएं या पुरुष रहेंगे और छठ के सामान रखने के साथ पकवान तैयार किए जाएंगे।
नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले पर्व पर बाजारों में शुक्रवार को लौकी और चने की दाल की दुकानों पर भीड़ रही। शनिवार को निर्जला व्रत (खरना) रख कर शाम को गुण की खीर, रोटी व फल खाएंगी। रविवार को निर्जल व्रत रख डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी व सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के मंगल की कामना करेंगी।
मिट्टी के चूल्हे पर तैयार होता है प्रसाद
हर साल छठ का व्रत रखने वाली मोनिका कुमारी ने बताया कि इस व्रत के लिए शुद्धता का बहुत ज्यादा ख्याल रखा जाता है इसके साथ ही यह पर्व परंपरा के साथ ही मनाया जाता है। प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह नया होता है और मिट्टी को शुद्ध माना जाता है। कई लोग चूल्हे पर नहीं बना पाते हैं तो उन्हें गैस के नए चूल्हे पर प्रसाद बनाना होता है।
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सुपली-दौरा की मांग बढ़ी
शुक्रवार को पर्व शुरू होने के साथ ही बाजारों में पूजा सामग्री में प्रयोग होने वाले सामान की खरीदारी के लिए बाजारों में भीड उमड़ी। घाट बाजार, रावतपाड़ा, बेलनगंज आदि बाजारों में महिलाएं व पुरुष सुपली और दौरा की खरीदारी करते हुए नजर आए। इसके साथ ही फलों व अन्य सामानों के लिए भी बाजार में भीड़ रही।
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