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आगरा के बाह में चंबल की बाढ़ से गुढ़ा गांव का तहसील मुख्यालय से संपर्क कट गया था। बिजली आपूर्ति ठप हो गई थी। 12 दिन बीतने के बाद भी गांव का रास्ता नहीं खुल सका है। इससे गांव की 500 की आबादी परेशान हैं। गांव के लोगों ने बताया कि चंबल नदी के उफान के पानी के साथ मगरमच्छ भी खादर में आ गए हैं। पानी घटने के बाद इनके गांव तक पहुंचने और हमले की आशंका बनी हुई है। सिमराई गांव के प्रधान जयवीर सिंह ने बताया कि गुढ़ा गांव की बिजली आपूर्ति बहाल करा दी गई है। सोमवार से रास्ते की सफाई का काम शुरू कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि गांव के रास्ते पर दो जगह 6-8 फुट तक कीचड़ और पानी भरा हुआ है।
चंबल की बाढ़ से गांव में छोड़ी गंदगी और सड़ांध से बीमारी से बचने की चुनौती से 30 हजार की आबादी जूझ रही है। गांवों में सफाई के साथ ही ग्राम पंचायतें कीटनाशकों के छिड़काव में जुट गई हैं। पानी में घोलने के लिए क्लोरीन की गोली बांटी गई हैं। भगवानपुरा, उमरैठापुरा, डगोरा, रेहा, गुढ़ा आदि गांवों में बाढ़ में डूबे हैंडपंपों का पानी भी दूषित हो गया है। रविवार को रेहा, रानीपुरा, भटपुरा, डगोरा, कछियारा का संपर्क जुड़ गया। रेहा और गुढ़ा की बिजली जुड़ गई। प्रधान अजय कौशिक और जयवीर सिंह ने बताया कि रविवार को ट्रैक्टर, जेसीबी आदि चलवाकर बिजली की लाइनें जु़ड़वा दी गई हैं। कीटनाशक का छिड़काव और दवाएं मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है।
मेड सोसाइटी जैतपुर ने रविवार को बाढ़ प्रभावित भगवानपुरा गांव में रसद पहुंचाई। रास्ता न होने से टीम गुढ़ा गांव तक नहीं पहुंच सकी। इससे पहले टीम ने दूसरे गांवों में रसद पहुंचाई थी। टीम के अलावा नवल किशोर, सलमान भारतीय, अंजलि भारतीय ,उमेश राजपूत, रामलाल आदि भी मदद में भागीदार बने। संवाद
गांव पडुआपुरा के बीहड़ में स्थित प्राचीन बाढ़ से बर्बाद हो गया है। इसे देखकर साधु-संतों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। आश्रम के संत बनवारी लाल ने बताया कि बाढ़ से 4 कमरे एवं तीन कमरों के टीन सेट ढह गए हैं। गोशाला में भरा भूसा बह गया। गायों को चारे की समस्या खड़ी हो गई है। जिससे गौशाला की गायों को चारे की भी दिक्कत हो रही है।
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