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नालियों में गोबर न बहे, पशु सड़कों पर न घूमें, तबेले शहर से बाहर हो सकें, इसी मंशा के साथ कैटल कॉलोनी बनाने की रूपरेखा तैयार की गई. शासन की ओर से भी इस संबंध में निर्देश दिए गए. नगर निगम और विकास प्राधिकरण को इसकी जिम्मेदारी दी गई. जमीन की तलाश गांव बुढ़ाना में जाकर समाप्त हुई.लेकिन छह वर्ष बाद भी न तो एक भी डेयरी को ही शिफ्ट किया जा सका और न ही कैटल कॉलोनी में प्लॉट के लिए किसी ने आवेदन किया.
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