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आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) के अधिकारियों की जल्दबाजी के कारण पूरे ताजगंज के कारोबार पर संकट के बादल खड़े हो गए, जबकि ताजगंज बाजार 400 साल से मौजूद है। मामला बढ़ा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा, तब जाकर एडीए के अधिकारियों का कानूनी सलाह की याद आई और 15 दिन की मियाद को बढ़ाकर 3 माह किया गया। इस बीच एडीए ने अवैध रूप से बनाई गई खुद की दुकानों और नीम तिराहे से अपने अवैध निर्माण को न ढहाया न ही बंद कराया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ताजगंज के लोगों के दर्द का साझीदार अमर उजाला बना। पहले ही दिन से ताजगंज की मुश्किलों को अमर उजाला ने बयां किया। ताजमहल के बनने के दौरान ताजगंज बाजार और पादशाहनामा में दर्ज बाजार के ब्योरे को प्रकाशित किया। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में अमर उजाला की उन खबरों को शामिल किया गया, जिसमें ताजगंज के पुराने बाजार के रिकॉर्ड के साथ पुरानी पेंटिंग को प्रकाशित किया गया था। एडीए के नोटिस से परेशान लोगों की पीड़ा को अमर उजाला ने पूरे 45 दिन तक आवाज दी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद ताजगंज वेलफेयर फाउंडेशन और ताजगंज के लोगों ने सहयोग के लिए अमर उजाला को धन्यवाद दिया।
ताजगंज वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष नितिन सिंह ने कहा कि हम उन सभी के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने हमारे पक्ष को सुना और राहत दी। कोर्ट के फैसले से ताजगंज के 400 साल से चले आ रहे कारोबार को राहत मिली है। यह लिविंग हेरिटेज है, जिसे देखने और समझने के लिए पर्यटक यहां कई दिन रहते हैं।
ताजगंज वेलफेयर फाउंडेशन के संदीप अरोड़ा ने कहा कि कोर्ट में सही तथ्य नहीं रखे गए थे, जिस वजह से पूर्व में आदेश आया। हमने जब सही तथ्य और जानकारियां कोर्ट के सामने पेश कीं तो पहली ही सुनवाई में सब ठीक हो गया। एडीए के अधिकारियों को अब सबक लेना चाहिए। दो बार कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या अधिकारियों ने की है।
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