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बसपा सुप्रीमो मायावती।
– फोटो : amar ujala
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आगरा में बसपा के हाथी की चाल हर सीट पर अलग-अलग है। आगरा शहर में साल 2009 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक 10 साल में हाथी की चाल बढ़ी है। फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर हाथी ठिठक गया है। यहां वोटों की संख्या आधी रह गई है।
विधानसभा चुनाव में बसपा दो बार जिले की 9 में से 6 सीटों पर जीत चुकी है। लोकसभा सीट पर एक बार भी बसपा प्रत्याशी नहीं जीता। हालांकि आगरा संसदीय सीट पर बसपा के वोटों में इजाफा हो रहा है।
साल 2009 में बसपा के कुंवरचंद वकील लोकसभा चुनाव लड़े। उन्हें 29.98 फीसदी वोट मिले। उन्हें 1,93,982 वोट मिले। साल 2014 में बसपा ने नरायन सिंह सुमन को प्रत्याशी बनाया पर उन्हें 26.48 फीसदी वोट ही मिल पाए। हालांकि उन्हें वोट 2,83,453 मिले।
पांच साल बाद साल 2019 के चुनाव में बसपा ने हाथरस के मनोज कुमार सोनी को आगरा से उतारा, तब उन्हें 38.47 फीसदी वोट मिले। उन्होंने 4,35,329 वोट पाकर बसपा के वोटों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी की, लेकिन जीत नहीं सके।
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