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नीलेश शर्मा
मैनपुरी। आजाद भारत में 75 साल बाद भी अरिंद नदी पर झबरा घाट पुल का निर्माण नहीं हो सका है। ऐसा तब हुआ जब विकास की बात करने वाली प्रमुख पार्टियों की प्रदेश में सरकार रही। हर चुनाव में यहां के वाशिंदों ने पुल के निर्माण की मांग उठाई पर उसे अनसुना कर दिया गया।
अरिंद नदी पर गांव रठेरा के पास झबराघाट पुल का निर्माण न होने से 15 गांव के लोगों को हररोज दिक्कत उठानी पड़ती है। छात्र-छात्राओं को विद्यालय जाने तो किसानों को खेतों पर जाने में परेशानी होती है। नदी के उत्तरी दिशा में गांव रठेरा में राजकीय इंटर कॉलेज, गांव टिंडौली में रेलवे स्टेशन और दन्नाहार में थाना संचालित है। राहगीरों को रेलवे स्टेशन, कॉलेज, डाकघर और थाने आने-जाने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पुल का निर्माण न होने के कारण टिंडौली रेलवे स्टेशन, जिसकी दूरी मात्र तीन किलोमीटर है न जाकर लोगों को 35 किलोमीटर दूर मैनपुरी रेलवे स्टेशन जाना पड़ रहा है। संवाद
इन गांवों के लोग परेशान
नदी के दक्षिण दिशा में स्थापित गांव दिबरौली, कुड़ाहार, रामगंज, गांगसी, नगला कुशल, नगला बूंचा, नगला भारा, जिचौली आदि।
सपा सरकार में आयी थी धनराशि
झबराघाट पुल के लिए सपा सरकार में ग्रामीणों ने सात दिन तक आंदोलन किया था। तत्कालीन करहल विधायक सोबरन सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पुल निर्माण की मांग की थी। धनराशि भी स्वीकृति हुई और टेंडर भी जारी किया गया। नापजोख भी कराई गई। इसी बीच सरकार का कार्यकाल खत्म होने से टेंडर निरस्त हो गया और धनराशि भी वापस चली गई।
चंदे से बनाए थे पिलर
अरिंद नदी पर झबराघाट के लिए ग्रामीणों ने 40 साल पहले चंदा करके पिलर बनवाए थे। इसके बाद ग्रामीण इतना चंदा नहीं कर सके कि उस पर लिंटर डलवा लेते। वर्तमान में बिजली के टूटे सीमेंट के खंभों को रखकर वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है। इसी से वह नदी को पार करते हैं। अक्सर बाइक सवार हादसे का शिकार हो जाते हैं।
-पूर्व में तैयार की गई कार्य योजना के संबंध में जानकारी करके पुल निर्माण के लिए प्रयास शुरू किया जाएगा।
-नवोदिता शर्मा, एसडीएम (सदर)।
नीलेश शर्मा
मैनपुरी। आजाद भारत में 75 साल बाद भी अरिंद नदी पर झबरा घाट पुल का निर्माण नहीं हो सका है। ऐसा तब हुआ जब विकास की बात करने वाली प्रमुख पार्टियों की प्रदेश में सरकार रही। हर चुनाव में यहां के वाशिंदों ने पुल के निर्माण की मांग उठाई पर उसे अनसुना कर दिया गया।
अरिंद नदी पर गांव रठेरा के पास झबराघाट पुल का निर्माण न होने से 15 गांव के लोगों को हररोज दिक्कत उठानी पड़ती है। छात्र-छात्राओं को विद्यालय जाने तो किसानों को खेतों पर जाने में परेशानी होती है। नदी के उत्तरी दिशा में गांव रठेरा में राजकीय इंटर कॉलेज, गांव टिंडौली में रेलवे स्टेशन और दन्नाहार में थाना संचालित है। राहगीरों को रेलवे स्टेशन, कॉलेज, डाकघर और थाने आने-जाने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पुल का निर्माण न होने के कारण टिंडौली रेलवे स्टेशन, जिसकी दूरी मात्र तीन किलोमीटर है न जाकर लोगों को 35 किलोमीटर दूर मैनपुरी रेलवे स्टेशन जाना पड़ रहा है। संवाद
इन गांवों के लोग परेशान
नदी के दक्षिण दिशा में स्थापित गांव दिबरौली, कुड़ाहार, रामगंज, गांगसी, नगला कुशल, नगला बूंचा, नगला भारा, जिचौली आदि।
सपा सरकार में आयी थी धनराशि
झबराघाट पुल के लिए सपा सरकार में ग्रामीणों ने सात दिन तक आंदोलन किया था। तत्कालीन करहल विधायक सोबरन सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पुल निर्माण की मांग की थी। धनराशि भी स्वीकृति हुई और टेंडर भी जारी किया गया। नापजोख भी कराई गई। इसी बीच सरकार का कार्यकाल खत्म होने से टेंडर निरस्त हो गया और धनराशि भी वापस चली गई।
चंदे से बनाए थे पिलर
अरिंद नदी पर झबराघाट के लिए ग्रामीणों ने 40 साल पहले चंदा करके पिलर बनवाए थे। इसके बाद ग्रामीण इतना चंदा नहीं कर सके कि उस पर लिंटर डलवा लेते। वर्तमान में बिजली के टूटे सीमेंट के खंभों को रखकर वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है। इसी से वह नदी को पार करते हैं। अक्सर बाइक सवार हादसे का शिकार हो जाते हैं।
-पूर्व में तैयार की गई कार्य योजना के संबंध में जानकारी करके पुल निर्माण के लिए प्रयास शुरू किया जाएगा।
-नवोदिता शर्मा, एसडीएम (सदर)।
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