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संभल नहीं पाई भीड़
मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ को संभालन में पुलिस प्रशासन के पसीने छूट गए। सुरक्षा के लिए लगाई गई पुलिस फोर्स और मंदिर के निजी सुरक्षा गार्ड भीड़ को संभालन में लाचार दिखे। गनीमत रही कि कोई श्रद्धालु बेहोश नहीं हुआ। हर कोई ठाकुर बांके बिहारी की एक झलक पाने को आतुर था। मंदिर के चौंक में भीड़ का आलम यह था कि पैर रखने तक जगह नहीं थी।
रंग-गुलाल से तर-बतर हुए भक्त
वृंदावन आए श्रद्धालुओं ने ठाकुर बांकेबिहारी संग होली खेलकर खुद को धन्य महसूस किया। दिल्ली निवासी रीना ने कहा कि यहां की होली ने उन्हें काफी आकर्षिक किया है। ऐसी होली उन्होंने पहली बार देखी है। एटा निवासी अंजली अपने परिवार के साथ बांकेबिहारी की होली में शामिल हुईं।
टेसू के रंग और चंदन का प्रयोग
ठाकुर श्री बांकेबिहारी अपने रजत सिंहासन पर आरुढ़ होकर श्वेत पोशाक धारण कर होली खेलने जगमोहन में विराजे। होली खेलने के लिए टेसू के रंग, चंदन के अलावा चोवा, अबीर और गुलाल का प्रयोग किया गया, जबकि ठाकुर बांके बिहारी के लिए शुद्ध केसर का रंग बनाया गया और इस केसरयुक्त रंग को सेवायतों द्वारा सवसे पहले बांकेबिहारी जी के ऊपर स्वर्ण रजत पिचकारी से डाला गया। सेवायतों ने होली गीत, सवईया, समाज गायन के साथ बधाई गीत गाए गए। सेवायत प्रह्लल वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि सेवायतों ने गोपी के गाल गुलाबिन पै, मल लाल गुलाल लगावत लाला…पीठ पड्यो लहराये, तेरों कारौ चुटीला रेशम कौ…आदि गीत गाकर ठाकुर जी के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट किया।
पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
ठाकुर बांके बिहारी के भक्तों में लगातार इजाफा हो रहा है। अनुमान के मुताबिक नए साल पर जहां दस लाख भक्तों ने दर्शन किए वहीं रंगभरनी एकादशी पर पांच लाख से अधिक भक्त अपने आराध्य की झलक ाने की अभिलाषा लिए पहुंचे हैं। खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सुबह और शाम के समय लगभग 5 लाख भक्तों ने ठाकुरजी के दर्शन किए, जबकि गैर सरकारी आंकड़े इससे अधिक हैं।
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