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आगरा में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनबाने के लिए फर्जी फाइल कलक्ट्रेट में 500 रुपये में तैयार हो रही हैं। मजिस्ट्रेट की मुहर से लेकर हस्ताक्षर कराने और फाइल को सत्यापन के लिए भेजने तक दलाल का ठेका है। जिसके बाद नगर निगम का कर्मचारी उस फाइल को लेकर आवेदक के घर सत्यापन के लिए जाता है। जहां 200 रुपये में सत्यापन रिपोर्ट लगती है फिर प्रमाण पत्र जारी हो जाता है।
कलक्ट्रेट में मजिस्ट्रेट की फर्जी मुहर व हस्ताक्षर से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनबाने का मामला सामने आने के बाद बृहस्पतिवार को अमर उजाला ने पड़ताल की। कलक्ट्रेट में अधिवक्ताओं के चैंबर के बाहर दलाल सक्रिय मिले। जो सिर्फ उन्हीं लोगों का जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र बनबाते हैं जिनकी मृत्यु या जन्म को 21 दिन से अधिक समय बीत गया है। एक अधिवक्ता ने नाम नहीं छापने के आग्रह पर बताया कि 500 रुपये में दलाल फाइल तैयार कराता है। दलाल व कलक्ट्रेट कर्मियों का गठजोड़ है। फाइल में 10-10 रुपये के दो शपथ पत्र लगते हैं। एक फार्म भरा जाता है। नोटरी की मुहर लगने के बाद फाइल को बाबू मजिस्ट्रेट कार्यालय से नगर निगम के लिए अग्रसारित कराता है।
200 रुपये में रिपोर्ट
इस प्रक्रिया में सात से आठ दिन का समय लगता है। एक हजार रुपये में फाइल तीन दिन में अग्रसारित हो जाती है। नगर निगम स्थित नगर स्वस्थ अधिकारी कार्यालय में फाइल आती है। यहां से जोनल कार्यालय जाती है। जोन से एक कर्मी आवेदक के घर सत्यापन के लिए जाता है। सत्यापन में 200 रुपये सुविधा शुल्क से मनमाफिक रिपोर्ट लग जाती है। जिसके बाद फाइल प्रमाण पत्र बनने के लिए पंजीयन कार्यालय में दर्ज होती है। ऑनलाइन पंजीयन सिस्टम से प्रमाण पत्र जारी होता है।
अस्पताल में हुआ बच्चा, दिखा रहे घर में जन्म
स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया के समय सबसे ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनते हैं। जिनमें 95 फीसद बच्चों का जन्म अस्पताल में होता है, लेकिन जन्म तिथि में हेरफेर करने के लिए जन्म घर दिखाया जाता है। सत्यापन करने वाला नगर निगम कर्मी इस तथ्य को छुपा लेता है। जिसके बदले में उसकी ‘सेवा’ होती है।
बरती जाएगी सख्ती
एडीएम वित्त एवं राजस्व यशवर्धन श्रीवास्तव ने बताया कि फर्जी मुहर व हस्ताक्षर का मामला सामने आने के बाद आवेदन की फाइलों को अग्रसारित करने में सख्ती बरती जाएगी। सत्यापन व पंजीयन कार्य की जांच के लिए नगरायुक्त को पत्र लिखा है।
विस्तार
आगरा में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनबाने के लिए फर्जी फाइल कलक्ट्रेट में 500 रुपये में तैयार हो रही हैं। मजिस्ट्रेट की मुहर से लेकर हस्ताक्षर कराने और फाइल को सत्यापन के लिए भेजने तक दलाल का ठेका है। जिसके बाद नगर निगम का कर्मचारी उस फाइल को लेकर आवेदक के घर सत्यापन के लिए जाता है। जहां 200 रुपये में सत्यापन रिपोर्ट लगती है फिर प्रमाण पत्र जारी हो जाता है।
कलक्ट्रेट में मजिस्ट्रेट की फर्जी मुहर व हस्ताक्षर से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनबाने का मामला सामने आने के बाद बृहस्पतिवार को अमर उजाला ने पड़ताल की। कलक्ट्रेट में अधिवक्ताओं के चैंबर के बाहर दलाल सक्रिय मिले। जो सिर्फ उन्हीं लोगों का जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र बनबाते हैं जिनकी मृत्यु या जन्म को 21 दिन से अधिक समय बीत गया है। एक अधिवक्ता ने नाम नहीं छापने के आग्रह पर बताया कि 500 रुपये में दलाल फाइल तैयार कराता है। दलाल व कलक्ट्रेट कर्मियों का गठजोड़ है। फाइल में 10-10 रुपये के दो शपथ पत्र लगते हैं। एक फार्म भरा जाता है। नोटरी की मुहर लगने के बाद फाइल को बाबू मजिस्ट्रेट कार्यालय से नगर निगम के लिए अग्रसारित कराता है।
200 रुपये में रिपोर्ट
इस प्रक्रिया में सात से आठ दिन का समय लगता है। एक हजार रुपये में फाइल तीन दिन में अग्रसारित हो जाती है। नगर निगम स्थित नगर स्वस्थ अधिकारी कार्यालय में फाइल आती है। यहां से जोनल कार्यालय जाती है। जोन से एक कर्मी आवेदक के घर सत्यापन के लिए जाता है। सत्यापन में 200 रुपये सुविधा शुल्क से मनमाफिक रिपोर्ट लग जाती है। जिसके बाद फाइल प्रमाण पत्र बनने के लिए पंजीयन कार्यालय में दर्ज होती है। ऑनलाइन पंजीयन सिस्टम से प्रमाण पत्र जारी होता है।
अस्पताल में हुआ बच्चा, दिखा रहे घर में जन्म
स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया के समय सबसे ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनते हैं। जिनमें 95 फीसद बच्चों का जन्म अस्पताल में होता है, लेकिन जन्म तिथि में हेरफेर करने के लिए जन्म घर दिखाया जाता है। सत्यापन करने वाला नगर निगम कर्मी इस तथ्य को छुपा लेता है। जिसके बदले में उसकी ‘सेवा’ होती है।
बरती जाएगी सख्ती
एडीएम वित्त एवं राजस्व यशवर्धन श्रीवास्तव ने बताया कि फर्जी मुहर व हस्ताक्षर का मामला सामने आने के बाद आवेदन की फाइलों को अग्रसारित करने में सख्ती बरती जाएगी। सत्यापन व पंजीयन कार्य की जांच के लिए नगरायुक्त को पत्र लिखा है।
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