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मैनपुरी सदर सीट से विधायक और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह, राकेश सचान, गिरीश चंद्र यादव, बेबीरानी मौर्य, योगेंद्र उपाध्याय, दयाशंकर सिंह समेत पूरी कैबिनेट और मंत्रिमंडल ने भाजपा के पक्ष में मैनपुरी में प्रचार किया। केंद्र सरकार के नेताओं की अगर बात करें केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, बीएल वर्मा के अलावा इटावा सांसद रामशंकर कठेरिया, कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक, एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया, फर्रुखाबाद सांसद मुकेश राजपूत, फिरोजाबाद सांसद चंद्रसेन जादौन समेत अन्य नेताओं ने भी पूरी ताकत झोंकी।
दूसरी तरफ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव, पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव, तेजप्रताप यादव के अलावा पूरी सैफई कुनबे ने कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव में प्रचार किया। सपा के विधायक और प्रदेश कार्यकर्ता भी मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में ही लगभग एक माह तक डटे रहे। बृहस्पतिवार को जब परिणाम आया तो भाजपा को हार ही मिली। उत्तर प्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री और सांसद भी भाजपा की नैया पार नहीं लगा सके। आखिरकार पूरी सरकार में सैफई परिवार भारी पड़ा और सपा को जीत हासिल हुई।
मुख्यमंत्री और मंत्रियों के अलावा भाजपा की प्रदेश और ब्रज क्षेत्र कार्यकारिणी भी पूरे चुनाव के दौरान मैनपुरी में ही डटी रही। प्रदेश अध्यक्ष भाजपा भूपेंद्र सिंह चौधरी का जहां मैनपुरी चुनाव प्रचार में आना जाना लगा रहा तो वहीं प्रदेश महामंत्री अश्वनि त्यागी, प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह पूरे चुनाव के दौरान मैनपुरी में ही डटे रहे। इसके अलावा बृज क्षेत्र अध्यक्ष रजनीकांत माहेश्वरी समेत पूरी कार्यकारिणी मैनपुरी ही डेरा डाले रही, लेकिन भाजपा का वोट बढ़ने की बजाए उल्टा कम हो गया।
भाजपा इतने जोर-शोर के साथ उपचुनाव प्रचार में जुटी थी कि मुलायम के गढ़ करहल में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसभा करने से नहीं चूके। करहल वही सीट है जहां से वर्तमान में सपा प्रमुख और विधानसभा उत्तर प्रदेश में नेता विरोधी दल अखिलेश यादव विधायक हैं। यहां 28 नवंबर को सीएम योगी ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा की थी। लेकिन यहां से भाजपा को जिले की चारों विधानसभाओं में सबसे बड़ी हार मिली।
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