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सार
श्रीरामलीला महोत्सव के तहत शुक्रवार रात भगवान शंकर की बरात धूमधाम से निकाली गई।जहां भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह की लीला संपन्न हुई।धार्मिक आयोजनों, यज्ञ में व्यवधान करना रावण और उसके सहयोगियों का प्रमुख कार्य बन गया था।
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भोगांव।
श्रीरामलीला महोत्सव के तहत शुक्रवार रात भगवान शंकर की बरात धूमधाम से निकाली गई। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने बारात में शामिल स्वरूपों पर पुष्प वर्षा करके आरती उतारी।
165वें श्रीरामलीला महोत्सव में शुक्रवार रात पुरानी आलू मंडी से शिव बरात निकाली गई। एसडीएम अंजली सिंह ने भगवान भोलेनाथ के स्वरूप की आरती उतारने के बाद हरी झंडी दिखाकर बारात को रवाना किया। इससे पूर्व आचार्य पं. देवेंद्र दीक्षित, रामलीला समित के अध्यक्ष शिवकुमार दुबे, हर्ष दुबे, नृपेंद्र शर्मा, सुरेंद्र शुक्ला आदि ने सोमनाथ मंदिर में भगवान के स्वरूपों का पूजन किया। बरात दाऊ जी मंदिर, रामचंद्र मंदिर, सब्जी मंडी चौराहा, जामा मस्जिद, घंटाघर होती हुई रामलीला मैदान पहुंची। जहां भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह की लीला संपन्न हुई।
शिव बरात में शिव कुमार दुबे, संरक्षक सुरेंद्र शुक्ला, डॉ. मनोज दीक्षित, आशीष तिवारी, गिरजाशंकर वर्मा, बाबूराम पाल, अप्पू अंसारी, डॉ. हर्ष दीक्षित, नृपेंद्र शर्मा, दिवाकर पांडेय, मुकेश अग्निहोत्री, राहुल पांडेय, सुधांशु मिश्रा, प्रवीन सनातनी, संजय शर्मा, अभिषेक मिश्रा, शिवम गुप्ता, आस्तेंद्र गुप्ता, अमित शुक्ल आदि मौजूद रहे।
झांकियों ने मोहा मन
– शिव बरात में आधा दर्जन से अधिक मनोहारी झांकियां शामिल रहीं। शिव बरात में सबसे आगे श्री गणेश जी की झांकी थी। इसके बाद सरस्वती, काली का अखाड़ा, श्रीकृष्ण की झांकी थी। आखिर में भगवान भोलेनाथ की झांकी थी। बैंड की धुन पर युवाओं की टोलियां नृत्य करते हुए चल रही थीं।
नारद मोह की लीला का मंचन हुआ
मैनपुरी। श्री रामलीला कमेटी के तत्वावधान में आगरा रोड रामलीला मैदान में चल रही रामलीला में शुक्रवार को नारद मोह, रावण आदि जन्म, रावण अत्याचार और अकाशवाणी की लीला का मंचन किया गया।
मंचन में दिखाया गया कि लंका में ऋषि विश्वा के यहां रावण, कुंभकरण आदि का जन्म होता है। लंका का राजा बनने के बाद रावण और उसके सहयोगी लगातार साधू संतों, देवी देवताओं के ऊपर अत्याचार करने लगते हैं। धार्मिक आयोजनों, यज्ञ में व्यवधान करना रावण और उसके सहयोगियों का प्रमुख कार्य बन गया था। रावण आदि के अत्याचारों से परेशान देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु के पृथ्वी पर अवतरित होने की अकाशवाणी होती है। महेश चंद्र अग्निहोत्री, रमेश चंद्र सर्राफ, सुरेश चंद्र बंसल बीनु, वीर सिंह भदौरिया, अशोक गुप्ता, आदित्य जैन, प्रताप भान सिंह चौहान, हाकिम सिंह राजपूत मौजूद रहे।
विस्तार
भोगांव।
श्रीरामलीला महोत्सव के तहत शुक्रवार रात भगवान शंकर की बरात धूमधाम से निकाली गई। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने बारात में शामिल स्वरूपों पर पुष्प वर्षा करके आरती उतारी।
165वें श्रीरामलीला महोत्सव में शुक्रवार रात पुरानी आलू मंडी से शिव बरात निकाली गई। एसडीएम अंजली सिंह ने भगवान भोलेनाथ के स्वरूप की आरती उतारने के बाद हरी झंडी दिखाकर बारात को रवाना किया। इससे पूर्व आचार्य पं. देवेंद्र दीक्षित, रामलीला समित के अध्यक्ष शिवकुमार दुबे, हर्ष दुबे, नृपेंद्र शर्मा, सुरेंद्र शुक्ला आदि ने सोमनाथ मंदिर में भगवान के स्वरूपों का पूजन किया। बरात दाऊ जी मंदिर, रामचंद्र मंदिर, सब्जी मंडी चौराहा, जामा मस्जिद, घंटाघर होती हुई रामलीला मैदान पहुंची। जहां भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह की लीला संपन्न हुई।
शिव बरात में शिव कुमार दुबे, संरक्षक सुरेंद्र शुक्ला, डॉ. मनोज दीक्षित, आशीष तिवारी, गिरजाशंकर वर्मा, बाबूराम पाल, अप्पू अंसारी, डॉ. हर्ष दीक्षित, नृपेंद्र शर्मा, दिवाकर पांडेय, मुकेश अग्निहोत्री, राहुल पांडेय, सुधांशु मिश्रा, प्रवीन सनातनी, संजय शर्मा, अभिषेक मिश्रा, शिवम गुप्ता, आस्तेंद्र गुप्ता, अमित शुक्ल आदि मौजूद रहे।
झांकियों ने मोहा मन
– शिव बरात में आधा दर्जन से अधिक मनोहारी झांकियां शामिल रहीं। शिव बरात में सबसे आगे श्री गणेश जी की झांकी थी। इसके बाद सरस्वती, काली का अखाड़ा, श्रीकृष्ण की झांकी थी। आखिर में भगवान भोलेनाथ की झांकी थी। बैंड की धुन पर युवाओं की टोलियां नृत्य करते हुए चल रही थीं।
नारद मोह की लीला का मंचन हुआ
मैनपुरी। श्री रामलीला कमेटी के तत्वावधान में आगरा रोड रामलीला मैदान में चल रही रामलीला में शुक्रवार को नारद मोह, रावण आदि जन्म, रावण अत्याचार और अकाशवाणी की लीला का मंचन किया गया।
मंचन में दिखाया गया कि लंका में ऋषि विश्वा के यहां रावण, कुंभकरण आदि का जन्म होता है। लंका का राजा बनने के बाद रावण और उसके सहयोगी लगातार साधू संतों, देवी देवताओं के ऊपर अत्याचार करने लगते हैं। धार्मिक आयोजनों, यज्ञ में व्यवधान करना रावण और उसके सहयोगियों का प्रमुख कार्य बन गया था। रावण आदि के अत्याचारों से परेशान देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु के पृथ्वी पर अवतरित होने की अकाशवाणी होती है। महेश चंद्र अग्निहोत्री, रमेश चंद्र सर्राफ, सुरेश चंद्र बंसल बीनु, वीर सिंह भदौरिया, अशोक गुप्ता, आदित्य जैन, प्रताप भान सिंह चौहान, हाकिम सिंह राजपूत मौजूद रहे।
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