[ad_1]
ये है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि सूर्य पुत्री यमुना के निमंत्रण पर भाई यमराज उनसे मिलने के लिए कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन यहां आते हैं। यमराज को आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यमुना ने स्नान के बाद पूजन करके, स्वादिष्ट व्यंजन परोसकर यमराज को भोजन कराया।
यमुना द्वारा किए गए इस आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आग्रह किया। फिर यमुना ने कहा हे भद्र, मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, यहां बहन के साथ स्नान करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा।
यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान किया। तभी से इस दिन से ये पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस कारण यम द्वितीया के दिन यमुना में स्नान करने और यमुना व यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है।
सुरक्षा के रहे खास इंतजाम
यम द्वितीया पर यमुना घाटों पर पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। विश्राम घाट तथा उसके आसपास के सभी घाटों पर बल्लियां बांध दी गई हैं। यमुना में 25 फीट तक श्रद्धालुओं के स्नान सुनिश्चित करने के लिए बल्लियां लगाई गई हैं। यहां पीएसी के गोताखोरों की तैनाती की गई। महिलाओं को कपड़े बदलने के लिए दोनों ओर आठ चेंजिंग रूम भी बनाए गए। विश्राम घाट पर खोयापाया केंद्र एक दिन पहले ही सक्रिय हो गया है। गोताखोर के अलावा नावों की व्यवस्था की गई है।
[ad_2]
Source link