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कुसमरा। विकास खंड किशनी की ग्राम पंचायत हुसैनपुर में पशु आश्रय स्थलों में परिवार निवास कर रहे हैं। अमर उजाला ने शुक्रवार के अंक में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था, लेकिन इसके बाद भी बीडीओ किशनी की नींद नहीं टूटी। शुक्रवार को आवास खाली कराना तो दूर उन्होंने गांव जाकर जांच तक नहीं की। ऐसे में कहीं न कहीं अधिकारी ही सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं।
मनरेगा योजना के तहत पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए निजी पशु आश्रय स्थल बनवाए गए हैं। इनमें पशुपालन किया जाना था, लेकिन किशनी के गांव हुसैनपुर में बड़ी संख्या में मनरेगा के तहत पशु आश्रय स्थल बना दिए गए हैं। ये पशु आश्रय स्थल उन लोगों के बना दिए गए, जिनके पास पशु ही नहीं थे। अब वे लोग इनका प्रयोग रहने के लिए कर रहे हैं।
अमर उजाला ने शुक्रवार के अंक में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जब खंड विकास अधिकारी किशनी महेश चंद्र त्रिपाठी से बात की गई थी तो उन्होंने तत्काल पशु आश्रय स्थल खाली कराते हुए जांच करने की बात कही थी। लेकिन शुक्रवार को खंड विकास अधिकारी की नींद ही नहीं टूटी। पशु आश्रय स्थलों को खाली कराना तो दूर बीडीओ ने गांव जाकर जांच करना भी जरूरी नहीं समझा। इसी से समझा जा सकता है कि बीडीओ को सरकार की योजनाओं की कितनी चिंता है। खुद जिम्मेदार ही यहां सरकार की योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। शुक्रवार को जब खंड विकास अधिकारी किशनी से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।
कुसमरा। विकास खंड किशनी की ग्राम पंचायत हुसैनपुर में पशु आश्रय स्थलों में परिवार निवास कर रहे हैं। अमर उजाला ने शुक्रवार के अंक में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था, लेकिन इसके बाद भी बीडीओ किशनी की नींद नहीं टूटी। शुक्रवार को आवास खाली कराना तो दूर उन्होंने गांव जाकर जांच तक नहीं की। ऐसे में कहीं न कहीं अधिकारी ही सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं।
मनरेगा योजना के तहत पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए निजी पशु आश्रय स्थल बनवाए गए हैं। इनमें पशुपालन किया जाना था, लेकिन किशनी के गांव हुसैनपुर में बड़ी संख्या में मनरेगा के तहत पशु आश्रय स्थल बना दिए गए हैं। ये पशु आश्रय स्थल उन लोगों के बना दिए गए, जिनके पास पशु ही नहीं थे। अब वे लोग इनका प्रयोग रहने के लिए कर रहे हैं।
अमर उजाला ने शुक्रवार के अंक में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जब खंड विकास अधिकारी किशनी महेश चंद्र त्रिपाठी से बात की गई थी तो उन्होंने तत्काल पशु आश्रय स्थल खाली कराते हुए जांच करने की बात कही थी। लेकिन शुक्रवार को खंड विकास अधिकारी की नींद ही नहीं टूटी। पशु आश्रय स्थलों को खाली कराना तो दूर बीडीओ ने गांव जाकर जांच करना भी जरूरी नहीं समझा। इसी से समझा जा सकता है कि बीडीओ को सरकार की योजनाओं की कितनी चिंता है। खुद जिम्मेदार ही यहां सरकार की योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। शुक्रवार को जब खंड विकास अधिकारी किशनी से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।
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