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मैनपुरी। विकास खंड मैनपुरी की ग्राम पंचायत अस्यौली में तालाब की सौ एकड़ भूमि पर कब्जा है। अमर उजाला ने बुधवार को इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद तहसीलदार सदर राजकुमार सिंह अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने संबंधित भूमि का निरीक्षण करने के साथ ही किसानों के अभिलेख भी देखे। हालांकि बारिश के चलते भूमि खाली नहीं कराई जा सकी।
ग्राम पंचायत अस्यौली निवासी गिरीश चंद्र आदि ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। इसमें कहा था कि गांव में सौ एकड़ भूमि तालाब के नाम दर्ज है। इस भूमि के गलत तरीके से पट्टे कर दिए गए। इसे 2011 में तत्कालीन डीएम ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद भी अब तक भूमि खाली नहीं हो सकी। अमर उजाला ने इस खबर को प्रमुखता से बुधवार के अंक में प्रकाशित किया था। इसके बाद बुधवार को ही तहसीलदार सदर राजकुमार सिंह क्षेत्रीय लेखपाल मनीष कुमार के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने गांव में संबंधित भूमि का निरीक्षण किया। इस दौरान कुछ भूमि में वर्तमान में तालाब है तो वहीं कुछ भूमि खाली पड़ी है, जबकि अधिकांश भूमि पर धान की फसल खड़ी है।
उन्होंने ऐसे कब्जे जो उच्च न्यायालय के स्थगन के आदेश से बाध्य नहीं को खाली कराने के निर्देश दिए। इसके लिए ट्रैक्टर और जेसीबी भी मंगाए गए। लेकिन इसी दौरान बारिश होने लगी, जिसके कारण फसलों को नहीं जुतवाया जा सका। इस दौरान तहसीलदार सदर ने ग्रामीणों का पक्ष भी सुना। उन्होंने कहा कि जिन किसानों के पास स्थगन आदेश है वह प्रस्तुत करें। अन्यथा जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए फसल को जुतवा दिया जाएगा। तहसीलदार सदर राजकुमार सिंह ने बताया कि बारिश के चलते कार्रवाई नहीं हो सकी है। वहीं वर्तमान में किसान सम्मान निधि की भूमि मैपिंग के कार्य में लेखपाल और कानूनगो लगे हैं। जल्द ही दोबारा टीम ले जाकर गांव में जमीन खाली कराई जाएगी।
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मैनपुरी। विकास खंड मैनपुरी की ग्राम पंचायत अस्यौली में तालाब की सौ एकड़ भूमि पर कब्जा है। अमर उजाला ने बुधवार को इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद तहसीलदार सदर राजकुमार सिंह अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने संबंधित भूमि का निरीक्षण करने के साथ ही किसानों के अभिलेख भी देखे। हालांकि बारिश के चलते भूमि खाली नहीं कराई जा सकी।
ग्राम पंचायत अस्यौली निवासी गिरीश चंद्र आदि ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। इसमें कहा था कि गांव में सौ एकड़ भूमि तालाब के नाम दर्ज है। इस भूमि के गलत तरीके से पट्टे कर दिए गए। इसे 2011 में तत्कालीन डीएम ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद भी अब तक भूमि खाली नहीं हो सकी। अमर उजाला ने इस खबर को प्रमुखता से बुधवार के अंक में प्रकाशित किया था। इसके बाद बुधवार को ही तहसीलदार सदर राजकुमार सिंह क्षेत्रीय लेखपाल मनीष कुमार के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने गांव में संबंधित भूमि का निरीक्षण किया। इस दौरान कुछ भूमि में वर्तमान में तालाब है तो वहीं कुछ भूमि खाली पड़ी है, जबकि अधिकांश भूमि पर धान की फसल खड़ी है।
उन्होंने ऐसे कब्जे जो उच्च न्यायालय के स्थगन के आदेश से बाध्य नहीं को खाली कराने के निर्देश दिए। इसके लिए ट्रैक्टर और जेसीबी भी मंगाए गए। लेकिन इसी दौरान बारिश होने लगी, जिसके कारण फसलों को नहीं जुतवाया जा सका। इस दौरान तहसीलदार सदर ने ग्रामीणों का पक्ष भी सुना। उन्होंने कहा कि जिन किसानों के पास स्थगन आदेश है वह प्रस्तुत करें। अन्यथा जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए फसल को जुतवा दिया जाएगा। तहसीलदार सदर राजकुमार सिंह ने बताया कि बारिश के चलते कार्रवाई नहीं हो सकी है। वहीं वर्तमान में किसान सम्मान निधि की भूमि मैपिंग के कार्य में लेखपाल और कानूनगो लगे हैं। जल्द ही दोबारा टीम ले जाकर गांव में जमीन खाली कराई जाएगी।
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