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पारुल चौधरी
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
क्या आपका पालतू कुत्ता अचानक से आक्रामक हो गया है, या फिर वो कुछ डरा सहमा रहता है, कुछ दिन पहले तक भरपेट खाना खाने वाली आपकी बिल्ली ने खाना छोड़ दिया है, या आपके पक्षी बिना बात ही बहुत शोर मचाने लगे हैं? पालतू पशु-पक्षियों को पालने वाले अक्सर ऐसी समस्याओं का सामना करते हैं। लाख कोशिशों के बाद भी जब आपको अपने पालतू पशु के व्यवहार में अचानक आया परिवर्तन समझ नहीं आए तो आपको जरूरत है एक ऐसे शख्स की जो उनके मन की बात को आप तक पहुंचाए। अब आप सोच रहे होंगे कि हमारे पालतू के मन की बात भला कोई कैसे जानेगा। तो हम आपको बताते हैं कि एनिमल कम्यूनिकेटर यानि जानवरों की भाषा समझने वाले लोग ऐसे ही व्यक्ति होते हैं जो आपके पालतू जानवर के मन के भाव, संकेतों को समझकर आप तक पहुंचाते हैं।
पारुल चौधरी ऐसी ही एक एनिमल कम्यूनिकेटर हैं। पारुल बताती हैं कि जानवर अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए विभिन्न संकेत देते हैं। ये संकेत उनकी सोच से शुरू होते हैं। यह एक प्रकार की टेलीपैथी है, जानवर जो सोचता है हम उसको पढ़ लेते हैं और फिर उसे उनके पालकों को बता देते हैं। इसके लिए न तो जानवर को उनके पास लाना होता है और न ही वो जानवर के पास जाती हैं। सारा काम टेलीफोन पर ही हो जाता है। टेलीपैथी से हम जानवर की समस्या का पता लगते हैं।
तब करते हैं लोग विश्वास
लोगों को विश्वास तब होता है जब घर बैठे-बैठे हम ये बता देते हैं कि आपकी बिल्ली के पैर में लाल निशान है या फिर आपका कुत्ता घर में किस कमरे में किस कोने में बैठना पसंद करता है तब लोगों को यकीन करना पड़ता है कि वास्तव में हम उनके जानवर के साथ बात कर पा रहे हैं।
टैलीपैथी से बताया कुत्ते को रास्ता
पारुल बताती हैं कि पिछले दिनों उनके पास एक कॉल आया जिसमें कपल का कुत्ता खो गया था, वो बेहद परेशान थे। कुत्ते का नाम पूछने के बाद जब वो टेलीपैथी के माध्यम से उनके खोए हुए कुत्ते से बात कर रही थीं तो पता चला कि वो ज्यादा दूर नहीं था। फिर उन्होंने कपल को समझाया कि आप शांत भाव से बैठकर अपने कुत्ते को कल्पना में लेते हुए उसे घर तक का रास्ता बताएं, वो शाम तक घर आ जाएगा। पहले तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ लेकिन बाद में मेरी बात मानकर उन्होंने वैसा ही किया और दो घंटे बाद ही उनका कुत्ता घर वापस आ गया।
कुत्ते को पसंद नहीं था खाने को मिलाना
एक महिला का कुत्ता खाना नहीं खा रहा था। जब उनके कुत्ते से संचार किया तो पता चला कि घर की मालकिन सारे लोगों को बड़े ही व्यवस्थित ढंग से खाना देती हैं लेकिन जब उनके कुत्ते की बारी आती तो वह उसे सारी चीजों को एक साथ मिलाकर दे देतीं। जबकि उनका कुत्ता भी चाहता था कि घर के सारे लोगों की तरह उसे भी जब खाना दिया जाए तो वह ढंग से सजाया गया हो। जब उन्होंने अपने कुत्ते को खाना देने का अंदाज बदला तो वह खुशी-खुशी खाना खाने लगा।
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