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कवि वाहे गुरु भाटिया
– फोटो : अमर उजाला
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AmarUjala75: अमर उजाला अपना 75वां स्थापना दिवस मना रहा है। इसकी 75 वर्षों की यात्रा पर आमजन से लेकर खास तक बधाई दे रहे हैं। इसी कड़ी में कवि, लेखक, विचारक वाहे गुरु भाटिया ने भी मुंबई से आगरा पहुंचकर अमर उजाला की यात्रा पर शुभकामनाएं दीं।
वाहे गुरु भाटिया बुधवार की सुबह अमर उजाला कार्यालय पहुंचे। यहां स्थानीय संपादक भूपेंद्र कुमार जी से मिले। उन्होंने एक कविता के माध्यम से अमर उजाला के स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं प्रेषित कीं। आइए पढ़ते हैं भाटिया की कविता के अंश…जो उन्होंने अमर उजाला के स्थापना दिवस पर भेंट कीं…
किताबें जिस्त में किसने बिजलियां रख दीं
बीच बीच में यादों की तितलियां रख दीं
वो कहता था कि कोई और कलम खरीदूंगा
मैंने तो अपने हाथों की उंगलियां ही काटकर रख दीं…
उन्होंने कहा कि अगर कोई दो लाइन में पूछे कि अमर उजाला क्या है तो कहेंगे…
मुफलिसी के मुंह का निवाला हो गया
हमने कलम उठाई और अमर उजाला हो गया…
अमर उजाला की पत्रकारिता की यात्रा पर उन्होंने कहा कि ‘खरीद सकता है तो कलम तू खरीद ले, हम बिकने वालों में से नहीं हैं…लिखेंगे वहीं जो सच्चाई है’। कहा कि अपनी इसी छवि के कारण अमर उजाला नित नई ऊंचाइयों की तरफ बढ़ रहा है।
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