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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
– फोटो : अमर उजाला
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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति की बैठक में हंगामा हुआ। छह घंटे चली बैठक में समिति ने प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक के मनमाने निर्णयों पर आपत्ति जताई। हंगामा करते हुए सदस्यों ने बीएचएमएस परीक्षा के पुनर्मूल्यांकन और 69 कॉलेजों के डिबार की सूची का अनुमोदन नहीं किया। जिन मामलों में एसटीएफ जांच कर रही है, उनसे भी समिति ने दूरी बनाई है।
बृहस्पति भवन में हुई बैठक में सदस्यों ने बीएचएमएस की पुनर्परीक्षा मामले में रिपोर्ट में छेड़छाड़ का आरोप लगाया। सदस्यों का आरोप है कि इसमें परीक्षा नियंत्रक और प्रति कुलपति के हस्ताक्षर के नीचे तारीख बदल दी। इसमें प्रभारी कुलपति ने नियम के विपरीत छात्रों की पुनर्मूल्यांकन करा दिया था, जिसमें सभी छात्र पास हो गए थे, जबकि मुख्य परीक्षा में ये फेल थे। सदस्यों ने कहा कि पुनर्मूल्यांकन का नियम ही नहीं है तो कैसे पुनर्मूल्यांकन करा दिया, विश्वविद्यालय में चुनौती मूल्यांकन ही मान्य है।
दूसरा विवादित मामला 69 कॉलेज के डिबार सूची रही। रिपोर्ट में इनके यहां सामूहिक नकल की पर्यवेक्षकों की ओर से रिपोर्ट बताई, लेकिन फाइल देखने पर ये नियंत्रण कक्ष की रिपोर्ट थी। इस पर सदस्यों ने कहा कि पर्यवेक्षक की रिपोर्ट के बिना इसकी पुष्टि नहीं होगी। इन दोनों ही मामलों को बीते 8 अगस्त को हुई परीक्षा समिति की बैठक में क्यों नहीं रखा गया। इन दोनों ही मामलों में एसटीएफ जांच कर रही है, इस कारण इनका अनुमोदन नहीं किया। बीएएमएस की प्रायोगिक परीक्षाएं कराई जाएंगी, लेकिन इनका परिणाम जारी नहीं किया जाएगा। इसकी कॉपियां बदलने के मामले में एसटीएफ जांच कर रही है।
डेविड की एजेंसी का टेंडर खत्म, नई एजेंसी की मांग
विश्वविद्यालय का परिणाम बनाने वाले डिजीटेक्स टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का टेंडर भी खत्म हो गया है। इसके मालिक डेविड मारियो डेनिस ने एफआईआर में आरोप लगाया था कि प्रो. विनय पाठक को मनमाना कमीशन न देने के कारण करार खत्म कर देगा। इस पर 2022-23 सत्र के लिए परिणाम बनाने के लिए नई एजेंसी के लिए शासन को डेविड और अजय मिश्रा के अलावा तीसरी नई कंपनी उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखने को कहा है।
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कॉलेज-विवि की परीक्षाएं एक साथ कराने का विरोध
सदस्यों ने विश्वविद्यालय के आवासीय और कॉलेजों की परीक्षाएं एक साथ करवाने के निर्णय का भी विरोध किया। इसमें सदस्यों ने तर्क दिया कि कॉलेजों में 4 लाख से अधिक छात्र हैं और विश्वविद्यालय के करीब साढ़े तीन हजार छात्र हैं। मुख्य परीक्षाओं के संचालन में देरी भी होती है, इससे इन छात्राें का सत्र भी पिछड़ सकता है।
कई मुद्दों पर जताई आपत्ति
परीक्षा समिति के बैठक में कई मुद्दों पर सदस्यों ने आपत्ति जताई। इनके प्रमाणित होने पर संदेह होने के कारण सदस्यों ने विरोध जताया। इन मामलों में एसटीएफ जांच कर रही है। दस्तावेजों को अगस्त में हुई परीक्षा समिति की बैठक में नहीं रखा था। इससे इनका अनुमोदन नहीं किया है। – डॉ. भूपेंद्र चिकारा, महामंत्री औटा
जांच के लिए बनाई समिति
कुलपति प्रो. आशु रानी ने बताया कि जिन दस्तावेजों में ओवरराइटिंग थी, वह अलग मामले थे। इनकी जांच के लिए समिति पहले ही बना दी है। जिन मामलों पर सदस्यों ने विरोध जताया, उनको छोड़कर छात्र और परीक्षा संबंधी कार्यों पर सदस्यों ने सहमति जताई है। कई मामलों पर लंबा मंथन हुआ, इस कारण छह घंटे बैठक चली।
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