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रामायण के प्रसंग पर आधारित पेंटिंग
– फोटो : अमर उजाला
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सुलहकुल की नगरी आगरा मुगलिया राजधानी रही है, जहां से मुगल शहंशाह अकबर ने न केवल भगवान श्रीराम पर राम टका जारी किया, बल्कि फारसी में रामायण का अनुवाद भी कराया।
मुगल काल में भगवान राम का प्रभाव शहंशाह पर ऐसा था कि फतेहपुर सीकरी के महल में लाल बलुआ पत्थर पर भगवान श्रीराम का दरबार उकेरा गया है। अकबर की मां हमीदा बानो बेगम के मरियम महल में पिलर के ऊपर भगवान राम का दरबार और नीचे हाथ जोड़े हनुमान की प्रतिमा को देखा जा सकता है।
राम का नाम मुगल काल में भी न केवल आम लोगों, बल्कि मुगल बादशाह के जीवन से भी जुड़ा रहा। अकबर की मां मरियम मकानी यानी हमीदा बानो बेगम के लिए जब फतेहपुर सीकरी में महल तामीर कराया गया तो चार कमरों के लाल बलुआ पत्थर से बने भवन के केंद्र में बने दो खंभों पर राम दरबार को उकेरा गया। अब सीलन के कारण राम दरबार की उकेरी प्रतिमाएं नजर नहीं आती, लेकिन नीचे बैठे हनुमानजी स्पष्ट दिखते हैं। मरियम के महल की यह खूबी सीकरी के गाइड यहां आने वाले पर्यटकों को प्रमुखता से बताते हैं।
भगवान कृष्ण की बांसुरी बजाती पेंटिंग
एएसआई के पूर्व निदेशक और पुरातत्वविद पद्मश्री केके मुहम्मद बताते हैं कि भगवान राम से जुड़ी रामायण और कृष्ण से जुड़ी महाभारत की कथाएं अकबर और उनकी मां को पसंद थीं। इसीलिए जब रामायण और महाभारत का फारसी में अनुवाद किया गया तो सबसे पहले पांडुलिपि उनकी मां हमीदा बानो बेगम के पास ही पहुंची। उस पांडुलिपि पर शाही मुहर दर्ज है। उनके महल में पिलर पर रामदरबार है, जिसका संरक्षण जरूरी है। भवन के अंदर भगवान कृष्ण की बांसुरी बजाते हुए पेंटिंग है, जो अब सीलन और अन्य कारणों से बेहद हल्की सी नजर आती है।
रामायण के प्रसंगों की बनवाई गई पेंटिंग
पद्मश्री केके मुहम्मद के मुताबिक हरखा बाई से विवाह के बाद अकबर के स्वभाव में उदारता आई और जजिया हटाने के बाद लगातार कई फैसलों में यह प्रभाव नजर आता है। रामायण में जो प्रसंग दर्ज हैं, उनकी पेंटिंग भी अकबर ने बनवाई, जो अब विदेशी म्यूजियम में हैं। इनमें अशोक वाटिका में माता सीता और हनुमानजी, समुद्र पर पुल बनाने का प्रसंग है। इसी तरह अकबर द्वारा अनुवादित रामायण में समुद्रमंथन का चित्र प्रमुखता से दर्शाया गया है।
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