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आगरा पुलिस
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आगरा पुलिस ब्रिटिश हुकूमत से अब कमिश्नरेट तक का सफर तय कर चुकी है। थानों की संख्या के साथ पुलिस के ओहदेदार भी बढ़ते गए। पहले गांवों में सुरक्षा के नाम पर बने चौकीदार अब ग्राम चौकीदार के रूप में हाईटेक व्यवस्था से जुड़ चुके हैं। काम का तौर-तरीका भी बदल गया है। चंबल के डकैतों की जगह पेशेवर अपराधियों और वर्चुअल डकैतों यानी साइबर अपराधियों ने ले ली है। गांव-गांव, शहर की गलियों तक फैले मुखबिर तंत्र भी अब हाईटेक होकर सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रहे हैं। थानों की मदद के लिए साइबर सेल, फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी मैदान में आ चुके हैं।
1906 में बना था लोहामंडी थाना, अब होटल जैसी इमारत
अंग्रेजों ने वर्ष 1906 में सबसे पहले यहां लोहामंडी कोतवाली स्थापित की। यहां मुगल काल में शहंशाह अकबर के समय से गढि़या लुहार रहकर लोहे के हथियार बनाते थे, बाद में जगह बंदूकों ने ले ली। जीर्णशीर्ण भवन में कोतवाली अभी हाल तक चल रही थी। कमिश्नरेट बनने के बाद एक महीने पहले इसका स्वरूप बदल गया। थाना किसी होटल की इमारत से कम नहीं लगता। हेल्प डेस्क, पार्किंग, दरोगाओं के कक्ष सब बदल गए।
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