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मैनपुरी। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का बुरा हाल है। यहां मरीजों को भर्ती करने के लिए 30 बेड की व्यवस्था है लेकिन भर्ती के नाम पर गंभीर बीमार तो छोड़ो बुखार और डायरिया के मरीजों को भी रेफर किए जा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उचित उपचार न मिलने के कारण मरीज परेशान हो रहे हैं।
शासन द्वारा विकास खंड स्तर पर ही मरीजों को बेहतर उपचार दिलाने के लिए जिले के सभी नौ विकास खंडों में नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों को भर्ती करने के लिए 30 बेड की व्यवस्था भी की गई है। लेकिन शासन की यह मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचने वाले मरीजों को देखते ही रेफर कर दिया जाता है। इसके चलते मरीज परेशान हो रहे हैं। लोगों का मानना है कि जब यहां उपचार की व्यवस्था ही नहीं है और जिला अस्पताल ही रेफर किया जा रहा है तो फिर यहां उपचार के लिए आने का ही क्या फायदा है। लोगों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जाना ही छोड़ दिया है।
प्रसव तक ही सीमित हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
यदि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की पड़ताल की जाए तो पता चलता है कि यह प्रसव तक ही सीमित रह गए हैं। दो बजे के बाद पूरा अस्पताल बंद हो जाता है। केवल डिलेवरी रूम ही खुला मिलता है। प्रसव के अतिरिक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर किसी प्रकार के मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं।
केस नंबर-
एक घिरोर के गांव पचावर निवासी संतोष कुमार और उनकी पत्नी सरिता देवी मारपीट में घायल होकर शुक्रवार को सीएचसी घिरोर पहुंचे यहां उन्हें प्राथमिक उपचार के साथ ही जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। बाद में उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कर उपचार दिया गया। जिला अस्पताल में तैनाती ईएमओ का कहना था कि यह उपचार सीएचसी घिरोर पर भी दिया जा सकता था।
केस नंबर-दो
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोगांव क्षेत्र के गांव किन्हावर निवासी सुरेंद्र सिंह को बुखार आ रहा था। परिजन उन्हें लेकर पहले पीएचसी सुल्तानगंज पहुंचे। यहां से बिना उपचार के सीएचसी भेजा गया। सीएचसी पर भी उन्हें भर्ती नहीं किया गया बाद में वे जिला अस्पताल में भर्ती हुए यहां उन्हें उपचार मिल सका।
केस नंबर-
तीन दन्नाहार थाना क्षेत्र के गांव जरामई निवासी गुड्डी देवी को पेटदर्द की दिक्कत थी। वे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर गईं लेकिन यहां उन्हें उपचार नहीं मिला मजबूरी में वे जिला अस्पताल पहुंचीं। यहां उन्हें भर्ती कर उपचार दिया गया। जबकि यह उपचार उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र दन्नाहार और सीएचसी कुचेला पर भी मिल सकता था।
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