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कासगंज। जिले में बांधों के निर्माण के प्रस्ताव पिछले 13 वर्षों से लंबित हैं। पांच बांध जिले में बनाए जाने हैं, लेकिन यह प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो पाते। जिससे जिले में बाढ़ की विभीषिका का गंगा के तटवर्ती इलाके के लोगों को करना पड़ता है। 13 वर्षों में तीन बार हाई फ्लड की विभीषिका का जिले में लोग सामना कर चुके हैं। यह प्रस्ताव बार बार सिंचाई विभाग शासन को भेजता है, लेकिन इन प्रस्तावों की सुध नहीं ली जाती।
जिले में गंगा की धारा का 71 किलोमीटर का बहाव क्षेत्र है। कासगंज तहसील क्षेत्र के सोरोंजी इलाके से गंगा की धारा जिले में प्रवाहित होती है। पटियाली तहसील क्षेत्र तक यह धारा है, जो फर्रुखाबाद की सीमा में प्रवेश करती है। बाढ़ की विभीषिका तो हर वर्ष ही होती है। मध्यम फ्लड की स्थिति तो हर बार रहती है, लेकिन मध्यम फ्लड से ग्रामीणों को तबाही जैसी क्षति का सामना नहीं करना पड़ता, लेकिन जब हाई फ्लड की स्थिति होती है तो हालात विकराल होते हैं और 80 गांव तक इसका प्रभाव होता है। वर्ष 2010, 2013 और इस वर्ष जिले ने हाई फ्लड का सामना किया। जिससे बड़ी क्षति हाई फ्लड के दौरान हुई। इन प्रस्तावों को लेकर जनप्रतिनिधि भी गंभीर नजर नहीं आते। सोरोंजी क्षेत्र में ग्राम बड़ौदा से दतलाना तक ग्राम बघेला, खड़ेरी, कादरवाड़ी, लहरा, घटिया बनुपुर सहित आस पास के इलाके को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए 15.4 किलोमीटर लंबाई का तटबंध निर्माण का प्रस्ताव 15.64 करोड़ रुपये का है। जो शासन स्तर पर लंबित है। वहीं सहवाजपुर, समसपुर, नरदौली इलाके के बांध को विस्तार देने के लिए 21.6 किलोमीटर लंबाई का बांध बनाने का प्रस्ताव 16.21 करोड़ रुपये का है। यह दोनों प्रस्ताव शासन में लंबित हैं। इन प्रस्तावों के लिए शासन ने धन आवंटित नहीं किया है। जबकि यह दोनों प्रस्ताव बाढ़ नियंत्रण परिषद की स्थायी संचालन समिति के द्वारा स्वीकृत हैं। यदि इन बांधों का निर्माण हो जाए तो कम से कम 50 गांव राहत में आ जाएंगे। पटियाली के अजीतनगर, बमनपुरा, रफातपुर, सिकंदरपुर ढाव, सुन्नगढ़ी, चकरा, किलौनी, किसौल, नागर, खिदरपुर सहित तटीय इलाके बाढ़ से सुरक्षित हो जाएंगे। इसके अलावा गंगा में बने छोटे बांधों का उच्चीकरण भी जरूरी है। क्योंकि यह बांध काफी पुराने हैं और इनके क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत की जाती है। जबकि इन बांधों को नवीनीकरण की जरूरत है। असदगढ़ किला, नरदौली तटबंध, की योजना नाबार्ड योजना से स्वीकृत की गई। इस तटबंध के निर्माण के लिए 6.70 करोड़ रुपये नाबार्ड को देने थे, जो नहीं मिले। न्यौली तटबंध की 13 किलोमीटर की योजना आज तक अधूरी है। इस योजना के लिए 10.70 करोड़ में से केवल तीन करोड़ रुपया ही मिला। जिससे चार किलोमीटर तक तटबंध का कार्य हो सका और योजना ठंडे बस्ते में है। इसके अलावा समसपुर, नरदौली, अल्लीपुर बरबारा, दतलाना, बरौदा, तटबंधों के लिए भी धन नहीं मिल सका। जिसके चलते गंगा का पानी इन क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में फैलता जा रहा है।
प्रतीक्षारत बाढ़ रोधी परियोजनाएं एवं लागत
– समसपुर से नरदौली तटबंध 16.21 करोड़
– अल्लीपुर बरबारा एलजीसी तटबंध 9.94 करोड़
– दतलाना बढ़ौदा तटबंध 15 किलोमीटर 15.54 करोड़
– असदगढ़ किला नरदौली तटबंध 6.70 करोड़
– न्यौली तटबंध 13 किलोमीटर 10.70 करोड़
– बांधों के निर्माण के प्रस्ताव शासन में लंबित हैं। अब बाढ़ थमने के बाद फिर से बांधों के प्रस्तावों को शासन में भेजा जाएगा। जिससे बांधों के प्रस्ताव स्वीकृत हो सकें। अरुण कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई।
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