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अखिल कुमार आगरा (ब्यूरो) वो 12 साल का था जब पहली बार उसने फव्वारा बाजार की गलियों को देखा था. नई बस्ती, छमछम वाली गली से फरहान बेग उर्फ फरहान मिर्जा अपने लगोटिया अत्ती के साथ दवा के इस बाजार में दिनभर यूं ही घूमता रहता था. थोक दुकानदार कभी दवा का कार्टून एक दुकान से दूसरी दुकान तक ले जाने के लिए दे देते थे. समय बदलता गया एक दुकान से दूसरी दुकान पर नौकरी की और आज फरहान मिर्जा देशभर में नकली दवाओं, एक्सपायरी दवाओं और साइकोट्रापिक ड्रग की स्मगलिंग का मास्टर माइंड बन गया. पुलिस गिरफ्त में फरहान मिर्जा ने काले कारोबार से जो परदा हटाया उससे सुनने वाले भी भौंचक रह गए. फरहान सेना की सप्लाई के लिए जा रही जीवन रक्षक दवाओं से 'नाट फार सेलÓ का लेवल हटाकर मनचाहा प्रिंट और बैच नंबर डालकर उन्हें बाजार में सप्लाई कर रहा था. गैंग का सरगना फरहान है और लंबे समय से इस काले कारोबार में लिप्त है.
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