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स्वास्थ्य केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड की नहीं मिल पा रही सुविधा
-गर्भवती महिलाओं व पेट रोगियों को होती है दिक्क्तें
-50 किमी. दूर तक का सफर करना पड़ता है तय
संवाद न्यूज एजेंसी
कासगंज। ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर बेहतर चिकित्सा सुविधा देने के लिए दो साल पहले अल्ट्रासाउंड लगाने की शासन की घोषणा अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी है। गर्भवती महिलाओं एवं पेट की बीमारी से जुड़े रोगियों को काफी दिक्क्तें होती हैं। ऐसे मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए जिला अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ती है। तमाम मरीजों को तो 50 किमी. तक का सफर तय करना पड़ता है।
जिला में सात ब्लॉक स्तरीय अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इन पर प्रतिदिन ही गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। गर्भवती महिलाओं के प्रसव की स्थिति का आकलन करने के लिए अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता होती है। इसी तरह से पेट से जुडे रोगों, पथरी आदि के मरीजों के लिए भी अल्ट़साउंड की आवश्यकता होती है। जब चिकित्सक मरीजों को अल्ट्रासाउंड लिखते हैं तो मरीजों को इसके लिए जिला अस्पताल जाना होता है। जिला के कुछ क्षेत्रों से तो जिला अस्पताल 50 किमी. से भी अधिक दूरी पर है। ऐसे में इन मरीजों को काफी दिक्कतें होती हैं। जिला अस्पताल पर अल्ट्रासाउंड कराने के बाद फिर ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सक को दिखाना होता है, जिससे मरीजों को काफी समय लग जाता है। कभी-कभी तो जिला अस्पताल पर मरीज का एक बार में अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाता, जिससे उनको फिर से जिला अस्पताल जाना पड़ता है।
जिला अस्पताल पर रहता है मरीजों का दवाब
कासगंज। पूरे जिले के अल्ट्रासाउंड जिला अस्पताल पर होने से यहां भी मरीजों का दवाब रहता है। इस अस्पताल पर एक ही रेडियोलॉाजिस्ट है। जो एक्सरे व अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट तैयार करते हैं। एक दिन में ऐसे 100 मरीज तक जिला अस्पताल पर पहुंचते हैं।
वर्जन
शासन से कई साल पहले ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर भी अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन अभी इस योजना पर अमल नहीं हो पाया है। पटियाली, गंजडुंडवारा क्षेत्र के मरीजों के लिए एक निजी केंद्र पर व्यवस्था कर रखी है। चिकित्सक के अल्ट्रासाउंड लिखने पर संचालक को निर्धारित मानक के अनुसार विभाग भुगतान देता है।- डॉ. अवध किशोर प्रसाद, सीएमओ
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स्वास्थ्य केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड की नहीं मिल पा रही सुविधा
-गर्भवती महिलाओं व पेट रोगियों को होती है दिक्क्तें
-50 किमी. दूर तक का सफर करना पड़ता है तय
संवाद न्यूज एजेंसी
कासगंज। ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर बेहतर चिकित्सा सुविधा देने के लिए दो साल पहले अल्ट्रासाउंड लगाने की शासन की घोषणा अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी है। गर्भवती महिलाओं एवं पेट की बीमारी से जुड़े रोगियों को काफी दिक्क्तें होती हैं। ऐसे मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए जिला अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ती है। तमाम मरीजों को तो 50 किमी. तक का सफर तय करना पड़ता है।
जिला में सात ब्लॉक स्तरीय अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इन पर प्रतिदिन ही गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। गर्भवती महिलाओं के प्रसव की स्थिति का आकलन करने के लिए अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता होती है। इसी तरह से पेट से जुडे रोगों, पथरी आदि के मरीजों के लिए भी अल्ट़साउंड की आवश्यकता होती है। जब चिकित्सक मरीजों को अल्ट्रासाउंड लिखते हैं तो मरीजों को इसके लिए जिला अस्पताल जाना होता है। जिला के कुछ क्षेत्रों से तो जिला अस्पताल 50 किमी. से भी अधिक दूरी पर है। ऐसे में इन मरीजों को काफी दिक्कतें होती हैं। जिला अस्पताल पर अल्ट्रासाउंड कराने के बाद फिर ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सक को दिखाना होता है, जिससे मरीजों को काफी समय लग जाता है। कभी-कभी तो जिला अस्पताल पर मरीज का एक बार में अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाता, जिससे उनको फिर से जिला अस्पताल जाना पड़ता है।
जिला अस्पताल पर रहता है मरीजों का दवाब
कासगंज। पूरे जिले के अल्ट्रासाउंड जिला अस्पताल पर होने से यहां भी मरीजों का दवाब रहता है। इस अस्पताल पर एक ही रेडियोलॉाजिस्ट है। जो एक्सरे व अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट तैयार करते हैं। एक दिन में ऐसे 100 मरीज तक जिला अस्पताल पर पहुंचते हैं।
वर्जन
शासन से कई साल पहले ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर भी अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन अभी इस योजना पर अमल नहीं हो पाया है। पटियाली, गंजडुंडवारा क्षेत्र के मरीजों के लिए एक निजी केंद्र पर व्यवस्था कर रखी है। चिकित्सक के अल्ट्रासाउंड लिखने पर संचालक को निर्धारित मानक के अनुसार विभाग भुगतान देता है।- डॉ. अवध किशोर प्रसाद, सीएमओ
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