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रॉयल हॉस्पिटल में जांच करते हुए सीएमओ डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव।
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा के यमुनापार के रॉयल हॉस्पिटल में सीएमओ ने छापा मारा। डॉक्टर नहीं मिले, प्रसूताओं समेत साथ मरीज भर्ती मिले। प्रसव किसने कराया, इसके भी साक्ष्य नहीं थे। सीसीटीवी कैमरे, मरीजों के पर्चे और रजिस्टर समेत तमाम रिकाॅर्ड जब्त कर लिए। मरीजों को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट कराते हुए मरीज भर्ती पर रोक लगा दी गई।
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि आशाओं की पार्टी कर उपहार बांटने का वीडियो वायरल होने के बाद जांच करने गए थे। डॉक्टर नहीं मिले। भर्ती सात मरीजों में पांच प्रसूताएं थीं। बेसमेंट में भी वार्ड था, यहां भी तीन प्रसूताएं भर्ती थीं। मौके पर मिले संचालक राहुल शर्मा ने खुद को ओटी टेक्नीशियन बताया। उसने इलाज करने वाले डॉ. हिमांशु सिंह का नाम बताया। मरीजों की बीएचटी (बेड हेड टिकट) में इनका रिकाॅर्ड दर्ज नहीं था। उनको बुलाने के लिए कहा तो वह आनाकानी करने लगा। सीसीटीवी कैमरे की फुटेज, मरीजों के रिकाॅर्ड, रजिस्टर आदि जब्त कर लिए हैं। संचालक से डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ के पैनल का ब्योरा, अग्निशमन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत अन्य विभागों की एनओसी तलब की है।
पहले भ्रूण लिंग जांच में हुआ था सील
बीते साल 13 जून को भ्रूण लिंग जांच का वीडियो वायरल होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के डॉ. वीरेंद्र भारती और डॉ. आरके अग्निहोत्री ने टीम ने छापा मारा था। दो दिन तक कार्रवाई चली। स्टाफ अस्पताल छोड़कर भाग गया था। ये बिना पंजीकृत ही चल रहा था। इस पर सील लगा दी गई थी।
वीडियो और 11 आशाओं के नाम मिले
सीएमओ ने बताया कि सरकारी एंबुलेंस के बाद अब आशाओं का गर्भवती को निजी अस्पताल में भर्ती कराने मामला पकड़ा है। वीडियो और रजिस्टर के आधार पर 11 आशाएं चिह्नित की गई हैं। इनकी संख्या और हो सकती है। इनकी जांच पूरी कर एफआईआर कराएंगे।
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