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कासगंज। इनरव्हील संजीवनी ने हरियाली तीज पर कार्यक्रम का आयोजन किया। महिलाओं ने हरियाली तीज की शुभकामनाएं दीं। सावन के गीतों पर नृत्य भी किया। दौरान नवनिर्वाचित अध्यक्ष मीनाक्षी बिड़ला को निवर्तमान अध्यक्ष अर्चना अग्रवाल ने कॉलर पहनाकर नए दायित्व के लिए शुभकामनाएं दीं।क्लब की सदस्य रेनू शर्मा ने सावन के गीत गाए। सावन का महीना पवन करे शोर पर महिलाओं ने धमाल मचाया। मनोरंजक गेम्स भी हुए। कार्यक्रम के दौरान रेनू वर्मा, डॉ. निलिमा, गीता अग्रवाल, संगीता, नीलू, लीना, अर्चना गुप्ता, अर्चना गर्ग, प्रीती तायल, अरुणा शर्मा, रितु, पूनम, कल्पना द्विवेदी, अनु गहलौत, चित्रा आदि सदस्याएं मौजूद रहीं।
रोटरी क्लब सिटी ने मनाया तीज कार्यक्रम
कासगंज। रोटरी क्लब कासगंज सिटी की सदस्यों ने तीज कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य प्रतियोगिताएं हुईं। पारुल बंसल व रिंकी गुप्ता ने कहा कि हरियाली तीज उपवास, प्रार्थना, और भक्ति का पर्व है। नीता बंसल और लवी बिरला ने कार्यक्रम का संचालन किया। सदस्यों ने झूले का भी आनंद लिया। इस दौरान मोनिका अग्रवाल, नीता अग्रवाल, ऋतु अग्रवाल, शिखा, संगीता, मीनू अग्रवाल, विधु चौधरी, श्वेता अग्रवाल, निधि गुप्ता, मयूरी अग्रवाल, अंजली, दीपाली गुप्ता, ऊषा अग्रवाल, नीलू , मधुलिका, चित्रा अग्रवाल, कमल जैन, रीता सिंह, पूनम माहेश्वरी, संगीता गोयल, सीमा अग्रवाल आदि मौजूद रहीं।
सुहागिनों पर बरसेगी भोले नाथ और माता पार्वती की कृपा
कासगंज। हरियाली तीज में इस बार सुहागिनों पर भोले नाथ और माता पार्वती की विशेष कृपा रहेगी। पर्व पर रवि सहित छह योगों का संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य इन योगों के संयोग को काफी शुभ मान रहे हैं। महिलाओं के लिए इने योग में पूजा करना विशेष फलदाई होगी।
हरियाली तीज सुहागिन महिलाओं के लिए खास पर्व है। यह सावन माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। पौराणिक मान्यता के मुताबिक हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इस बार यह पर्व रवि योग में पड़ रहा है। यह योग भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इसके अलावा शुक्र, मंगल और चंद्रमा, कन्या राशि में त्रिग्रही योग तो बुध और सूर्य मिलकर सिंह राशि में बुधादित्य योग बनाएंगे। कन्या राशि में मंगल एवं चंद्रमा के होने से महालक्ष्मी योग बन रहा है। सिद्ध योग एवं साध्य योग भी इस दिन बन रहा है। इसके अलावा इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है।
इस तरह करें हरियाली तीज की पूजा
हरियाली तीज के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद नए वस्त्र पहनें।
सोलह श्रंगार जरूर करें और पूरे दिन व्रत रहें।
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ ही गणेश जी की भी पूजा की जाती है।
पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें और उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछा दें।
फिर इस चौकी में भगवान की मूर्तियां स्थापित करें और भगवान को नए वस्त्र पहनाएं।
पूजा सामग्री को भगवान को अर्पित करें।
इसके बाद माता पार्वती को सोलह श्रंगार से जुड़ी सामग्री अर्पित करें।
पूजा के दौरान हरियाली तीज की व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें और आरती करें।
हरियाली तीज पर्व पर इस बार छह योग बन रहे हैं। एक साथ इन योगों के बनने से पर्व का महत्व काफी बढ़ गया है। – पं. मुकुंद बल्लभ भट्ट, ज्योतिषाचार्य
हरियाली तीज की रंगत में रंगा बाजार
कासगंज। हरियाली तीज को लेकर सुहागिनों में उत्साह है। इससे बाजार पर भी त्योहार का रंग नजर आ रहा है। महिलाओं ने बाजार में श्रंगार के सामान की खरीदारी की। खासी संख्या में ग्राहकों को देखकर कारोबारियों के चेहरे खिल उठे।
हरियाली तीज पर्व शनिवार को मनाया जाएगा। महिलाएं पिछले कई दिनों से खरीदारी में जुटी हैं। साड़ियों की दुकान पर महिलाओं की भीड़ नजर आ रही है। सजने संवरने को लेकर भी महिलाओं में खासा उत्साह है। इसके चलते सौंदर्य प्रसाधन के सामान, चूड़ी आदि की दुकानों में भी भीड़ रही। हालांकि बारिश के चलते महिलाओं को थोड़ी परेशानी हुई। बाजार भी अन्य दिनों की अपेक्षा देर तक खुले।
मिठाई की दुकानों पर रही भीड़
कासगंज। मिठाई की दुकानों पर भी ग्राहकों की भीड़ लगी रही। हरियाली तीज पर बहनों के यहां सिंघारा भेजने की परंपरा है। सिंघारे में घेवर, मिठाई, मठरी और बताशों को ले जाने का प्रचलन है। इससे लोगों ने बाजार से इन सामानों की भी खरीदारी की
ब्यूटी पार्लर पर लगी रही भीड़
पर्व की पूर्व संध्या से ही महिलाओं ने सजना संवरना शुरू कर दिया। महिलाओं ने ब्यूटीशियन के पास पहुंच कर आईब्रो सेट कराए। फेशियल आदि भी कराया।
हाथों पर सजाई मेहंदी
पर्व पर मेहंदी रचाने की भी परंपरा है। जिसके चलते महिलाओं ने हाथों में मेहंदी भी रचवाई। महिलाओं ने ब्यूटीशियन के पास जाकर हाथों पर मेहंदी सजवाई तो वहीं काफी संख्या में महिलाएं ऐसी भी रहीं जिन्होंने अपने घरों पर ही इस परंपरा को पूरा किया।
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