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कासगंज। गर्भवती महिलाएं एवं पांच साल से कम आयु के बच्चे एनीमिया के शिकार हो रहे हैं। इनके पोषण के लिए चलने वाली सरकारी योजनाओं का असर धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में जिला के काफी चौकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। इसमें एनीमिया की शिकार महिलाओं और बच्चों की संख्या पांच साल में दो गुनी हो गई है।
शासन के द्वारा 5 साल तक के बच्चों को पोषित करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से घी, दाल, चावल एवं दलिया उपलब्ध कराया जाता है। इसी तरह गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह व्यवस्था लागू है। किशोरियों को भी पोषक तत्व देने की व्यवस्था है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व माह में दो बार जांच की व्यवस्था है। शिविर के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को खान पान पर ध्यान देने की सलाह भी दी जाती है। सरकार की इन सभी योजनाओं पर नेशनल हैल्थ सर्वे 5 की रिपोर्ट ने सवाल खड़े कर दिए है। पांच साल में 6 से 59 माह के बच्चों में रक्त का लेवल 11 से कम होने के मामले दो गुने हो चुके हैं। वहीं 15 से 49 साल की सामान्य महिलाओं में रक्त लेवल 12 से कम होने के मामले दो गुने से कुछ कदम दूर हैं। ऐसी ही कमोबेश स्थिति इस आयु वर्ग की गर्भवती महिलाओं की है। उनमें रक्त लेवल 11 से कम पाए जाने के मामले डेढ़ गुने से अधिक बढ़ चुके हैं। वहीं 15 से 19 साल की किशोरियों व युवतियों में एनीमिया के मामले ढाई गुने से अधिक बढ़ चुके हैं।
एनीमिया पीड़ितों की संख्या एक नजर में
आयु वर्ग सर्वे 5 सर्वे 4
6 से 59 माह के बच्चे 80.8% 40.9%
15 से 49 साल की गर्भवती महिला 44.8% 28.7% 15 से 49 साल की महिलाएं 66.1% 34.9% 15 से 19 साल की किशोरी व युवतियां 64.6% 24.8%
खून की कमी के लक्षण
त्वचा का सफेद दिखना, जीभ नाखूनों व पलकों के अंदर सफेदी, कमजोरी, थकावट, चक्कर आना, बेहोश होना, सांस का फूलना, हृदय की गति का तेज होना, चेहर व पैरों पर सूजन दिखाई देना
यह मात्रा होनी चाहिए
सामान्य तौर पर 14 ग्राम प्रति डेसी लीटर तक रक्त होना चाहिए। 12 ग्राम प्रति डेसी लीटर तक रक्त होने पर दिक्कत नहीं होती। इससे कम रक्त होना खतरनाक होता है।
चिकित्सक की बात
अस्पताल पर आने वाली गर्भवती महिलाओं में 6 से 7 ग्राम प्रति डेसी लीटर तक रक्त के मामले सामने आते है। जो जच्चा बच्चा दोनों के लिए खतरनाक होता है। यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त पोषक तत्व न लेने से होती है। इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। -डाॅ.- मारुति माहेश्वरी, स्त्री रोग विशेषज्ञ
पांच साल तक की आयु के बच्चों में कम से कम 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर रक्त होना चाहिए। इससे कम रक्त होना बच्चों के लिए खतरनाक होता है। अभिभावकों के द्वारा बच्चों को पर्याप्त पोषक तत्व देने पर ध्यान नहीं दिया जाता। बच्चे दूध पीना पसंद नहीं करते। हरी सब्जियां खाने पर भी कम ध्यान देते हैं। फास्ट फूड की तरफ बढ़ता रुझान भी एनीमिया का कारण है। – डाॅ. दिनेश, बाल रोग विशेषज्ञ
गर्भवती महिलाओं की समय-समय पर जांच की जाती है। उन्हें आयरन की गोली भी विभाग के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। नेशनल फैमली स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट में बच्चों, महिलाओं आदि में एनीमिया के मामले पहले से बढ़ हैं। डाॅ. अवध किशोर प्रसाद, सीएमओ
जिले में एनीमिया के शिकार हो रहीं गर्भवती महिलाएं व बच्चे
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