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कासगंज। यदि रात के समय आप को स्वास्थ्य सेवाओंं की आवश्यकता हो तो अशोक नगर स्वास्थ्य केंद्र पर जाने के बारे में न सोचें। आपको इलाज के लिए परेशान होना पड़ेगा। जेडी स्वास्थ्य वीके सिंह के रात के समय किए गए अचानक निरीक्षण में स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। सफाई कर्मी के सहारे अस्पताल चलता मिला। इसके चलते चिकित्सक सहित तीन कर्मियों के वेतन काटने की कार्रवाई की गई।
जेडी शुक्रवार को रात्रि लगभग 9 बजे अचानक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण करने के लिए पहुंच गए। जब वह अस्पताल पर पहुंचे तो मात्र सफाई कमी ही मिला। आपातकालीन सेवा में तैनात चिकित्सक, वार्ड व्याय, फार्मासिस्ट मौके पर नहीं मिले। जब जानकारी की गई तो पता चला कि वे अपनी ड्यूटी पर मौजूद नहीं है। इसके बाद जेडी ने फोन करके चिकित्सक व अन्य स्टाफ को बुलाया। फोन करने पर ही वे आए। इस स्थिति को गंभीरता से लिया गया। इसके चलते तीनों का एक दिन का वेतन काटने की संस्तुति की गई। इसके अलावा अस्पताल पर अन्य व्यवस्थाओं की स्थिति भी खराब पाई गई। जेडी ने सीएमओ को व्यवस्थाओं को सुधारने के निर्देश दिए। जेडी ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र पर व्यवस्थाएं संतोषजनक नहीं मिली है। लापरवाही के मामले सामने आए हैं। इसके लिए शासन को लिखा जाएगा।
एएनएम की तैनाती में खेल हुआ उजागर
कासगंज। जेडी के निरीक्षण में स्वास्थ्य केंद्र पर एएनएम की तैनाती में खेल उजागर हुआ। केंद्र से जुडे उपस्वास्थ्य केंद्रों से अधिक संख्या में एएनएम तैनात मिली। अन्य केंद्रों की एएनएम को अशोक नगर अस्पताल से संबद्ध करने का मामला सामने आया। गंजडुंडवारा क्षेत्र में सात उपकेंद्र एएनएम विहीन चल रहे हैं, जबकि जिले में पर्याप्त संख्या में एएनएम मौजूद हैं।
गर्भवती महिलाओं को नहीं दिया जा रहा एक साल से भोजन
कासगंज। जेडी के निरीक्षण में स्वास्थ्य केंद्र पर एक प्रसूता भर्ती मिली। उससे भोजन मिलने के बारे में जानकारी की गई तो पता चला कि परिजन को अपने स्तर से व्यवस्था करनी पड़ रही है। जब इस बारे में जानकारी की गई तो एक साल से भोजन की व्यवस्था बंद होने का मामला सामने आया।
मरीजों को एंबुलेंस से लाने में हो रहा फर्जीवाड़ा
कासगंज। जेडी ने स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ी 102 एवं 108 एबुलेंस सेवाओं के रजिस्टर चेक किए। केंद्र से जुड़ी तीन एंबुलेंस मेंं 15 मरीजों का ब्योरा अंकित पाया गया, लेकिन इस पर किसी के हस्ताक्षर नही मिले। इसके साथ लाए गए मरीजों के भर्ती किए जाने का ब्योरा भी नहीं दिखाया गया।
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