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मैनपुरी। जिला अस्पताल के आईसीयू और पीआईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर कमरों में बंद हैं। इसके चलते गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर सुविधा का लाभ न मिलने के कारण मरीजों की मौत हो रही है। अस्पताल प्रशासन डॉक्टरों की कमी की बात कहते हुए पल्ला झाड़ ले रहा है। पिछले दो वर्षो से आईसीयू और पीआईसीयू वार्ड में एक भी मरीज को वेंटिलेटर पर उपचार नहीं दिया गया है।
जिला अस्पताल के आईसीयू और पीआईसीयू वार्ड की स्थापना गंभीर मरीजों के लिए की गई। यहां दो साल पहले वेंटिलेटर की व्यवस्था भी करा दी गई। लेकिन आईसीयू और पीआईसीयू वार्ड के वेंटिलेटर बंद कमरों में रखे हुए हैं। पिछले दो साल से यहां एक भी मरीज भर्ती नहीं किया गया है। केवल आईसीयू वार्ड में मौजुुलके वेंटिलेटर जिले में वीआईपी के भ्रमण के दौरान सक्रिय रहते हैं, शेष दिनों में यहां ताला लटका रहता है। ऐसा नहीं है कि यहां स्टाफ या ऑपरेटर की कमी है।
जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भी वेंटिलेटर ऑपरेटर की तैनाती है और पीआईसीयू वार्ड में भी ऑपरेटर की तैनाती है। जरूरत है तो केवल डॉक्टर की। जिला अस्पताल में फिजीशियन, पीडियाट्रिक और सर्जन की भी तैनाती है। लेकिन गंभीर मरीजों को इसके बाद भी वेंटिलेटर की जरूरत पर यहां भर्ती नहीं किया जाता है। मरीज की हालत बिगड़ते ही उसे रेफर कर दिया जाता है। जिससे सैफई और आगरा पहुंचने से पहले ही कई मरीजों की मौत हो जाती है। पिछले एक महीने की बात करें तो जिला अस्पताल से रेफर हुए पांच मरीजों की सैफई पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। यदि उन्हें जनपद में ही वेंटिलेटर पर उपचार दिया जाता तो शायद उनकी जान बच जाती।
आईसीयू में 60 लाख की लागत से वेंटिलेटर की हुई स्थापना
जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में 10 वेंटिलेटर युक्त बेडों की व्यवस्था दो साल पहले 60 लाख की लागत से कराई गई थी। ये वेंटिलेटर कमरों में धूल फांक रहे हैं। पूरे दिन ऑपरेटर और स्टाफ यहां बैठकर मरीजों का इंतजार करता है लेकिन दो साल में एक भी दिन डॉक्टरों ने यहां एक भी मरीज को भर्ती नहीं कराया।
जिला अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में 24 वेंटिलेटर युक्त बेडों की स्थापना करोना काल में वर्ष 2021 में की गई थी। यहां भी ऑपरेटर की तैनाती की गई है। लेकिन दो साल में यहां भी एक भी बच्चा वेंटिलेटर पर भर्ती नहीं कराया गया है। जबकि आए दिन गंभीर हालत में बच्चों की मौत हो रही है। पीडियाट्रिक वार्ड के लिए अलग से एक संविदा डॉक्टर की भी तैनाती की गई है। फिर भी बच्चों को उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है।
वर्जन
वेंटिलेटर सुविधा के लिए पर्याप्त डॉक्टरों और स्टाफ की व्यवस्था नहीं है। केवल एक फिजीशियन उपलब्ध है। जो ओपीडी की सेवाओं को देखते हैं। एक ही सर्जन की तैनाती है जो भी इस समय उपस्थित नहीं हैं। ऐसे में वेंटिलेटर सुविधा का संचालन संभव नहीं है। अस्पताल में डॉक्टरों के 16 पद रिक्त चल रहे हैं। डॉक्टरों की मांग के लिए पत्र लिखा गया है।
डॉ. मदनलाल सीएमएस
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