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मैनपुरी। बदलते खानपान और लाइफ स्टाइल की वजह से जिले में तेजी के साथ लिवर में संक्रमण के मरीज बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में हर साल 300 से अधिक लोगों की मौत लिवर इंफेक्शन से हो रही है। चालू साल में अब तक 77 मरीजों की मौत लीवर इंफेक्शन से हुई है। जिला अस्पताल में उचित उपचार की व्यवस्था तक नहीं है। लिवर हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। रक्त में मौजूद अधिकांश रसायनों की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालने में इस अंग की विशेष भूमिका होती है। पेट और आंतों से निकलने वाला सारा खून लिवर से होकर ही गुजरता है। लिवर पित्त का भी उत्पाद करता है जो भोजन के पाचन के लिए अति महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि इस अंग के खास देखभाल की जरूरत होती है। लिवर की बढ़ती बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे मनाया जाता है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी के कारण शरीर के इस महत्वपूर्ण अंग को बहुत क्षति पहुंची है। पिछले एक-दो दशकों में लिवर से संबंधित कई गंभीर रोगों के मामले तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं। आश्चर्यजनक रूप से कम उम्र के लोग भी इसके शिकार देखे जा रहे हैं।
हेपेटाइटिस बन रहा लिवर में संक्रमण की समस्या
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. जेजे राम बताते हैं कि लिवर में संक्रमण की समस्या सामान्य है। हेपेटाइटिस वायरस के कारण लिवर में संक्रमण के मामले सबसे अधिक देखे जाते रहे हैं। हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, जैसे संक्रमण लिवर के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बनते हैं। इसके अलावा दूषित भोजन या पानी के कारण भी लिवर में संक्रमण होने का जोखिम रहता है।
पीलिया के भी बढ़ रहे हैं मामले
फिजीशियन डॉ. धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि पीलिया भी असल में लिवर से संबंधित ही एक बीमारी है। बिलीरुबिन की सामान्य से अधिक मात्रा, लिवर या पित्त नली की समस्याओं का संकेत मानी जाती है। लिवर की इस बीमारी के मामले सबसे अधिक देखे जाते हैं।
लिवर कैंसर के मरीज सबसे अधिक
कमला नर्सिंग होम के डॉ. बेसिल सोरंग बताते हैं कि लिवर कैंसर, एक जानलेवा स्थिति है। लंबे समय तक हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी वायरस के संक्रमण का शिकार होने, अधिक वजन या मोटापे की स्थिति और शराब के सेवन के कारण लिवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इन जोखिम कारकों से बचाव के उपाय करें।
ये हैं बीमारी के लक्षण
सिर में दर्द और हल्का बुखार।
त्वचा और आंखों का रंग पीला पडना।
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना।
पेट में पानी भरना।
पाचन संबंधी समस्याएं और दस्त।
त्वचा में जलन, खुजली और लाल रंग के चकत्ते पडना।
भूख न लगना, वजन में गिरावट।
देर से पता लगने पर मुंह से खून आना।
पीले रंग की पेशाब होना।
पैरों में सूजन होना।
लिवर शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जरा भी लक्षण दिखने पर इसका उपचार जरूर लें। लापरवाही के कारण लोग गंभीर बीमार हो रहे हैं। समय से यदि उपचार लें तो लोगों को बचाया जा सकता है।
डॉ. पीपी सिंह, सीएमओ
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