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कासगंज। शासन से कक्षा एक से बारह तक के बच्चों के प्रवेश के समय आधार कार्ड की अनिवार्यता कर दी गई है, इससे फर्जीवाड़े सामने आने लगें हैं। विद्यालयों में छात्र संख्या में की जाने वाली हेराफेरी का भी खुलासा यू डायस पर डाटा संग्रहित होेेते ही सामने आने लगा है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि यूएस डायस पर डाटा संग्रहित होने पर कई मान्यता प्राप्त विद्यालयों में छात्रों की संख्या घट गई है। इससे इन विद्यालयों की मान्यता पर खतरा मंडराने लगा है। जिले में बड़ी संख्या में ऐसे मान्यता प्राप्त विद्यालयों का संचालन हो रहा है, जिसमें बच्चों की संख्या काफी है। लेकिन स्कूल संचालक अभिलेखों में हेराफेरी कर विद्यालयों में छात्रों की फर्जी संख्या दिखाते हैं, ताकि उनके विद्यालय की मान्यता बरकरार रहे और आरटीई के तहत शासन से मिलने वाली सुविधा का भी वो लाभ लेते रहते। लेकिन यू डायस लागू होने के बाद अब स्कूलों के ये खेल खुलने लगे हैं। शासन से एक से 12 वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों का आधार कार्ड प्रवेश के समय अनिवार्य कर दिया है। एडमीशन होने के साथ ही छात्रों का विवरण अब यू डायस पर होने लग रहा। जैसे ही छात्रों का विवरण अपलोड हो रहा, पता चल जा रहा कि विद्यालय में कितने छात्र है। यदि उनका नामांकन किसी अन्य विद्यालय में है तो यू डायस उसे शो करने लग रहा।
इस नई व्यवस्था से स्कूल संचालकों में खलबली मची हुई है। जिन स्कूलों में पहले बच्चों की अच्छी खासी संख्या दिखाई जाती रही है अब उनमें पढ़ने वाले बच्चों के लाले नजर आ रहे हैं। कुछ स्कूल तो ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें वर्ष 2022-23 के डाटा में 2 से लेकर 10 बच्चे ही दर्शाए गए हैं। जिन स्कूलों में पिछले साल से कम संख्या में बच्चों का डाटा भेजा गया है विभाग ने उनको दो दिन में डाटा भेजने का समय भी दिया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जो स्कूल तीन माह में बच्चों का डाटा उपलब्ध नहीं करा सके वे दो दिन में बच्चे कहां से लाएंगे। स्कूलों को मान्यता का संचालन करने के लिए कम से कम 100 बच्चों की आवश्यकता हाेती है।
जिन स्कूलों ने बच्चों की संख्या कम दिखाई है उनको दो दिन का समय डाटा देने के लिए दिया गया है। इसके बाद इनकी मान्यता प्रत्याहरण व प्राथमिकी दर्ज की कार्रवाई भी की जाएगी- राजीव यादव, बीएसए
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