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मैनपुरी। मौसम का कहर अब किसानों के लिए मुसीबत बनने लगा है। शनिवार को सुबह हवा के साथ हुई बारिश से गेहूं की फसल खेतों में ही बिछ गई। वहीं, दूसरी ओर आलू की खोदाई और गेहूं की थ्रेसिंग का काम भी रुक गया है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार आगामी चार दिनों तक अभी मौसम साफ होने की उम्मीद नहीं है। जिले में अधिकांश ग्रामीण आबादी खेती-किसानी पर ही निर्भर है। गेहूं और आलू ही रबी की मुख्य फसलें हैं। वर्तमान में खेतों में गेहूं की फसल लगभग तैयार है। लेकिन इससे पहले ही मौसम की मार ने किसानों को बेहाल कर दिया है। दो दिनों से छाए बादल शनिवार को आफत बनकर बरसे। सुबह पांच बजे के करीब जिले भर में हल्की बारिश हवा के साथ हुई। इसके चलते खेतों में खड़ी गेहूं की फसल बिछ गई। इससे गेहूं का उत्पादन जहां प्रभावित होगा तो वहीं दाना भी बदरंग हो जाएगा।
वहीं, दूसरी तरफ पहले ही आलू की खराब कीमतों से किसान बेहाल है, तो वहीं अब बारिश से आलू की खोदाई का काम भी रुक गया है। बारिश के चले किसानों को फिलहाल और इंतजार करना होगा। इसके अलावा सरसों की फसल में भी भीगने से नुकसान होने की आशंका है। नमी के चलते थ्रेसिंग काम पूरी तरह बंद हो गया है।
कृषि विज्ञान केंद्र में स्थापित मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शनिवार को सुबह 4.50 मिमी बारिश हुई। मौसम वैज्ञानिक नरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि आगामी चार दिनों तक अभी मौसम साफ होने की उम्मीद नहीं है। आगे भी बारिश हो सकती है। ऐसे में किसान परेशान हैं कि अगर और बारिश हुई तो गेहूं की फसल चौपट हो जाएगी।
तापमान में भी आई गिरावट
एक ओर जहां बारिश और बादल छाए रहने से फसलों को नुकसान हुआ है तो वहीं गर्मी से लोगों को राहत मिली है। बीते दो दिनों में तापमान चार डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। शनिवार को अधिकतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ 26 डिग्री और न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस रहा। इसके चलते लोगों को रात में सर्दी का अहसास भी हुआ।
किसानों की बात
किसानों के लिए ये समय सबसे खराब है। पहले से ही आलू की फसल में किसानों को बड़ा झटका लगा है। वहीं अब बेमौसम बारिश मुसीबत बनती जा रही है। आखिर समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें।
– सुनील कुमार, नगला पजाबा।
किसान मौसम की मार से बेहाल हो चुका है। धान की फसल में कटाई के दौरान बारिश से नुकसान हुआ था। वही स्थिति अब गेहूं की फसल में भी सामने आ रही है। किसान कर्जदार होता जा रहा है।
– धर्मेंद्र कुमार, नगला कैथ।
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