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मैनपुरी। मोबाइल फोन की लत बच्चों के जीवन को खतरें में डाल रही है। इससे आंखों की कोशिकाएं सूख रही हैं और बच्चों की आंखों और पुतिलयों का आकार घट-बढ़ रहा है। कोरोना महामारी के बाद जिला अस्पताल के नेत्र विभाग में आखों की समस्या लेकर पहुंचने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है। प्रतिदिन औसतन 25 से 30 बच्चें आंखों के उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं।
घरों में मोबाइल और लैपटॉप पर बच्चों का समय अधिक बीत रहा है। मोबाइल और लैपटॉप की रोशनी रेटिना पर ऐसा असर डाल रही है कि आंखों के अंदर की कोशिकाएं सूखने लगती हैं। इसकी वजह से बच्चे आंखों की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जिला अस्पताल में तैनात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुज कुमार का कहना है कि मोबाइल और लैपटॉप के कारण मायोपिया और हाइपर मेट्रोपिया के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना महामारी के बाद यह शिकायतें बच्चों में देखने को मिल रही है। इस बीमारी में बच्चों की आंखों से लेकर पुतलियों के आकार सामान्य आंखों और पुतिलयों की तुलना में घट बढ़ रहा है। समय रहते अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होती जाएगी और बाद में दिखना बंद हो जाएगा।
जिला अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रताप सिंह ने बताया कि कोविड के बाद यह बीमारी तेजी से बच्चों में देखने को मिली है। जबकि, पहले यह मायोपिया और हाइपर मेट्रोपिया 35 वर्ष से ऊपर के लोगों में देखने को मिलती थी। उन्होंने बताया कि सामान्य आंखों की साइज 20 से 23 मिलीमीटर होती है। जबकि, पुतली की साइज 10 से 12 मिलीमीटर होती हैं। यह साइज तीन वर्ष से लेकर जवान होने तक की है। वहीं, बीमारी की बात करें तो 18 से 19 मिलीमीटर आंखों की साइज और आठ से नौ मिलीमीटर पुतलियों की साइज देखने को मिल रही है।
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके शाक्य ने बताया कि मोबाइल का अधिक प्रयोग करने से बच्चों में कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही हैं। वे चिड़चिड़ापन, क्त्रसेध, नींद में कमी, भूख न लगना, एकाग्रता में कमी, शारीरिक सक्त्रिस्यता में कमी, मोटापा, याददाश्त कमजोर होना, पढ़ाई में दिलचस्पी न लेना आदि समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं। आने वाले समय में इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
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ऐसे करें बचाव
– बच्चों को मोबाइल कम से कम दें।
– कंप्यूटर, टीवी या मोबाइल में देख रहे हों तो उचित दूरी बना कर रखें।
– दिन में तीन से चार बार अपनी आंखों को ठंडे पानी से अच्छी तरह धोएं।
– धूप या किसी धूल-मिट्टी वाली जगह पर जाएं तो चश्मा पहनें।
– खाने में दूध, मक्खन, गाजर, अंडे, देसी घी और हरी सब्जियां खाएं।
– समय-समय पर आंखों का चेकअप कराते रहें।
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