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मैनपुरी।
मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है…ये लाइनें कुरावली के मुहल्ला घरनाजपुर निवासी दिव्यांग सूरज तिवारी पर सटीक बैठती हैं। हादसे में दोनों पैर और एक हाथ खोने के बाद भी सूरज ने हार नहीं मानी। यूपीएससी परीक्षा पास कर आखिरकार सूरज ने मुसीबतों के अंधेरे में जिंदगी का नया सवेरा उगाया। कुरावली निवासी राजेश तिवारी के बेटे सूरज तिवारी ने यूपीएससी परीक्षा में 917वीं रैंक हासिल कर परिवार का नाम रोशन किया है। लेकिन सूरज की सफलता के पीछे संघर्ष की एक पूरी गाथा है। 2017 में सूरज के साथ हुआ, उसके बाद शायद जीवनयापन भी मुश्किल था। लेकिन सूरज ने हार नहीं मानी और मुसीबतों की बेड़ियां तोड़ते चले गए।
दरअसल 2017 तक सूरज दिव्यांग नहीं थे, वे भी एक स्वस्थ युवा थे। दादरी में 24 जनवरी 2017 में हुए एक रेल हादसे ने सूरज की जिंदगी में अंधेेरा कर दिया। इस रेल हादसे में सूरज ने अपने दोनों पैर, दाहिना हाथ और बांए हाथ की दो अंगुलियां भी गवां दीं। लगभग दो साल तक सूरज का इलाज चला। इसी बीच 25 मई 2017 को सूरज के बढ़े भाई राहुल तिवारी की भी सड़क दुर्घटना में मृत्य हो गई। ये सदमा सूरज और पूरे परिवार के लिए काफी गहरा था। लेकिन इसके बाद सूरज ने फिर एक बार हौसला बटोरा और चमकने की ठानी।
2021 में उन्होंने जेएनयू दिल्ली से बीए किया और यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। मंगलवार को जब यूपीएससी का परिणाम आया तो सूरज ने जीत का परचम लहरा दिया। 917वीं रैंक हासिल कर सूरज ने न केवल खुद को साबित किया बल्कि परिवार और क्षेत्र का भी नाम रोशन किया।
पिता की मेहनत ने की जख्मों की तुरपाई
सूरज तिवारी एक बेहद सामान्य परिवार से हैं। पिता राजेश तिवारी पेशे से दर्जी हैं और मां आशा देवी ग्रहिणी हैं। जितनी मेहनत सूरज ने सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए की, उससे कहीं अधिक मेहनत उनके पिता राजेश तिवारी ने की। उन्होंने लोगों के कपड़े सिलकर अपनी मेहनत से परिवार के जख्मों की तुरपाई की। आर्थिक स्थिति भले ही ठीक नहीं थी, लेकिन कभी सूरज की शिक्षा में उन्होंने कोई बाधा नहीं आने दी। दिव्यांग होने के बाद भी बेटे को हमेशा आगे बढ़ने का हौसला दिया। उनकी मेहनत रंग लाई और बेटे ने सफलता हासिल की।
छलक उठी सबकी आंखें
मंगलवार को जब सूरज की सफलता की जानकारी मिली तो पिता राजेश तिवारी समेत पूरे परिवार की आंखें छलक आईं। तीन भाई बहनों में सूरज सबसे बड़े हैं। छोटा भाई राघव तिवारी बीएससी कर रहा है तो वहीं छोटी बहन प्रिया तिवारी बीटीसी कर रही हैं। राघव भी अपने भाई की तरह ही परिवार का नाम रोशन करना चाहते हैं।
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