Wednesday, January 8, 2025
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Agra News:महिलाओं में तेजी से बढ़ रही गर्भाशत टीबी, बांझपन का बढ़ रहा खतरा – Uterine Tb Increasing Rapidly In Women, Increasing Risk Of Infertility

by amitsagar
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कासगंज। आमतौर पर लोगों को लगता है कि टीबी फेफड़ों से जुड़ी बीमारी होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। महिलाओं में गर्भाशय टीबी तेजी से बढ़ रही है। जिससे उनमें बांझपन का खतरा बढ़ रहा है।

टीबी कई प्रकार की होती है, जिनमें एक है पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस यानी जननांग की टीबी। यह महिला और पुरुष दोनों में हो सकती है। यह दोनों के ही प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। जिले में महिलाओं में गर्भाशय टीबी के मामले तेजी से आ रहे है। अधिकतर मामले 20-40 साल की उम्र की महिलाओं में सामने आ रहे हैं। चिकित्सकों का मानना है कि यह स्थिति खतरनाक है। वैसे टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है। समय रहते यदि इलाज करा लिया जाए तो इस बीमारी से छुटकारा मिल जाता है। महिला रीना (31) बताती हैं कि शादी के तीन साल तक उनके कोई बच्चा नहीं हुआ तो चिकित्सक की सलाह पर अल्ट्रासाउंड कराया। इसके बाद गर्भाशय में गांठ पाई गई। जांच में टीबी मिलनेेेेेे पर इलाज कराया गया, जिससे वह पूरी तरह स्वस्थ्य हो गईं और उनके अब बच्चा भी है। माधुरी (35) बताती हैं कि अनियमित रक्त स्राव होने पर जब चिकित्सक को दिखाया गया तो उनकी सलाह पर गर्भाशय की जांच कराई गई, जिसमें गांठ निकली। इसके बाद इलाज कराने पर वह अब पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।

पसीना अधिक आना, थकान रहना, पेट के निचले हिस्से में बेहद दर्द रहना, सफ़ेद पानी आना, हेवी ब्लीडिंग, उबकाई या उल्टी, वजन का कम होना, हल्का बुखार, हार्ट की पल्स रेट का तेज हो जाना

नियमित रूप से शारीरिक जांच करवाएं, टीबी का इंजेक्शन लगवाएं, हरी सब्जियां और फल खाएं, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, प्रदूषण से बचकर रहें, जंक और फास्ट फूड से परहेज करें।

महिलाओं के गर्भाशय में टीबी की मामले बढ़े हैं। इसमें टीबी के बैक्टीरिया सीधा गर्भाशय पर हमला करते हैं, जिससे महिलाओं को गर्भ धारण करने में दिक्कतें आती हैं। गर्भाशय की सबसे अंदरूनी परत कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से एम्ब्रीओ (भ्रूण) ठीक तरीके से विकसित नहीं हो पाता। खानपान एवं साफ सफाई पर ध्यान न देने से खतरा बढ़ जाता ह।ै- डॉ. अतुल सारस्वत, नोडल अधिकारी

टीबी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत किसी भी प्रकार की टीबी होने पर इलाज किया जाता है। सरकार पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह भत्ता देती है। छह माह का कोर्स होता है। कोर्स पूरा करने पर बीमारी जड़ से समाप्त हो जाती है। लक्षण सामने आने पर तुरंत जांच करानी चाहिए।- डॉ. धर्मेद्र यादव, जिला समन्व्यक



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