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संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Updated Sat, 02 Dec 2023 11:53 PM IST
गंजडुंडवारा (कासगंज)। मधुमक्खी पालन के कारोबार को लेकर लोगों के बीच उत्साह है। जिले के ग्रामीण इलाकों में सौ से अधिक स्थानों पर मधुमक्खी पालन करने के लिए मधुमक्खी पालकों ने मधुमक्खी की अस्थायी कॉलोनियां बसाई हैं। जिन स्थानों पर सरसों के खेत हैं उनके आस पास यह कॉलोनियां स्थित हैं। जिले के किसानों के अलावा बाहरी इलाकों के मधुमक्खी पालक भी यहां पहुंच चुके हैं और मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। सरसों के फूलों से मधुमक्खियां मधु संचित करके अपनी कॉलोनियों में ले जाती हैं और वहां शहद तैयार किया जाता है। उद्यान विभाग मधुमक्खी पालन के कारोबार को प्रोत्साहित कर रहा है।गंजडुंडवारा क्षेत्र के नवाबगंज नगरिया, कादरगंज, इंद्राजसनपुर, बगवास, जघई, बहरोजपुर, महमूदपुर, म्यांऊ, लखापुर, दीवाननगर, लालूपुर आदि इलाकों में मधुमक्खी पालकों ने मधुमक्खियों की कॉलोनियां विकसित की हैं। नवाबगंज नगरिया पर मधुमक्खी पालन कर रहे युवक कमलेश शाक्य ने बताया कि वह मधुमक्खी पालन के कार्य से करीब 23 वर्ष से जुड़े हैं। वह मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं, लेकिन अलग-अलग स्थानों पर जाकर सीजन के हिसाब से मधुमक्खी का पालन करते हैं। पहले दस बॉक्स बनाकर छोटी कॉलोनी लगाई गई। अब इस कारोबार के माध्यम से 500 बॉक्स की कॉलोनी बसाई है। उन्होंने बताया कि सरसों, लीची आदि के सीजन पर मधुमक्खी की कॉलोनियां ग्रामीण इलाकों में बसाई जाती हैं। सफेद यूकेलिप्टस, अरहर आदि से भी मधुमक्खी शहद संग्रहित करती हैं। उन्होंने बताया कि लीची की पैदावार पहाड़ी इलाकों में होती है। ऐसी स्थिति में पहाड़ी इलाकों में जाकर कॉलोनियां बसाते हैं। किसान विपिन ने बताया कि मधुमक्खी पालन ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का बेहतर विकल्प है। इसकी काफी औद्योगिक मांग है। 150 से 200 रुपये किलो तक शहद बिकता है।
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