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मैनपुरी। मनरेगा में मनमानी करके अधिकारियों ने केवल मजदूरों का ही नहीं बल्कि दूसरे विकास खंडों का भी हक छीना है। हाल ये हुआ कि कुछ विकास खंडों ने शासनादेश के विपरीत निर्धारित से भी अधिक भुगतान कर लिया तो कुछ पिछड़ गए। इससे पिछड़े विकास खंडों में विकास कार्य भी नहीं हो सके।
विकास खंड बरनाहल और करहल में तैनात बीडीओ/कार्यक्रम अधिकारी रुकमणि वर्मा ने मनरेगा में भुगतान को शासनादेशों की धज्जियां उड़ा। उन्होंने बरनाहल में मनरेगा से निर्माण सामग्री के लिए 10.59 लाख का अतिरिक्त भुगतान किया तो वहीं करहल में 6.90 लाख का अतिरिक्त भुगतान किया गया। ये धनराशि मजदूरों के भुगतान पर खर्च की जानी थी। ऐसे में एक ओर जहां मजदूरों का हक छीना गया तो दूसरी ओर अन्य ब्लॉकों का भी हक छीन लिया गया।
दरअसल शासन से मनरेगा के भुगतान के लिए दी जाने वाली धनराशि पूल में दी जाती है। कोई भी विकास खंड उससे भुगतान कर सकता है। ऐसे में जब बरनाहल और करहल में निर्धारित 40 प्रतिशत से अधिक का भुगतान निर्माण सामग्री पर हुआ तो दूसरे ब्लॉक पिछड़ गए। विकास खंड कुरावली में सबसे कम 19.59 प्रतिशत भुगतान ही निर्माण सामग्री पर निर्धारित 40 प्रतिशत के सापेक्ष हो सका। इसी तरह जागीर का हाल भी बुुरा रहा। यहां भी 40 प्रतिशत के सापेक्ष महज 31.23 प्रतिशत भुगतान ही निर्माण सामग्री पर किया जा सका। बीडीओ रुकमणि वर्मा ने इन ब्लॉकों की तो दूर मजदूरों की भी चिंता नहीं की। रुकमणि वर्मा का कहना है कि उन्होंने कोई अनियमितता नहीं की है।
प्रशासन के लिए गले की फांस बना मामला
मनरेगा में नियम के विपरीत भुगतान किए जाने का मामला प्रशासन के लिए गले की फांस बन गया है। इसके लिए सीधे तौर पर बीडीओ/कार्यक्रम अधिकारी दोषी हैं, लेकिन जिम्मेदार फिलहाल मामला ठंडा होने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं पूरे मामले में दोषी अधिकारी अपनी ऊंची पहुंच का दावा कर रहे हैं। इसकी पूरे विभाग में चर्चा है।
नियम तोड़ने की अनुमति किसी को नहीं
मामले को लेकर उपायुक्त श्रम एवं रोजगार पीसी राम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि नियम तोड़ने की अनुमति किसी को नहीं है। उन्होंने कहा कि शासनादेश है कि मनरेगा से निर्माण सामग्री पर 40 प्रतिशत से अधिक भुगतान न किया जाए। इसके बाद भी बरनाहल और करहल में अधिक भुगतान किया गया है। इसमें जो भी दोषी है बच नहीं सकेगा।
बरनाहल और करहल दोनों ही ब्लॉकों में जांच कराई जाएगी। शासनादेशों का उल्लंघन कर मनरेगा में भुगतान करना नियम विरुद्ध है। इसके लिए दोषियों पर कार्रवाई होना तय है।
-विनोद कुमार, मुख्य विकास अधिकारी।
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