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कासगंज। वायु गुणवत्ता खराब होने का असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। तमाम लोग अस्थमा के शिकार हो रहे हैं। जिला अस्पताल पर अस्थमा के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 30-40 मरीज प्रतिदिन अस्थमा के इलाज के लिए जिला अस्पताल पर पहुंच रहे हैं। पहले से आंकड़ा 20-25 मरीजों तक था। जिले में वायु गुणवत्ता आम तौर पर प्रभावित रहती है।
सामान्य रूप से वायु की गुणवत्ता होनी चाहिए 50 माइक्रो प्रतिघन मीटर होनी चाहिए, लेकिन जिले में वायु की गुणवत्ता 100 माइक्रो प्रतिघन मीटर से अधिक रहती है। जिले में बढ़ती वाहनों की संख्या, निर्माण कार्य, भट्ठों की चिमनियों से निकलने वाला धुआं प्रमुख कारण माने जाते हैं। निर्माण कार्यों के स्थान पर काम करने वाले श्रमिक धूल मिट्टी में काम करते हैं, लेकिन वे धूल मिट्टी से बचाव के लिए कोई प्रबंध नहीं करते। जबकि निर्माणदायी संस्था, ठेकेदार को मास्क आदि उपलब्ध कराना जरूरी होता है। जिससे धूल श्रमिकों के शरीर में न जाए। वहीं धूम्रपान भी बड़ा कारण माना जाता है। बढ़ती धूम्रपान की लत से भी लोग अस्थमा का शिकार हो रहे हैं। अनियमित दिनचर्या भी अस्थमा के रोगी बढ़ा रही है।
बोले मरीज-
– मैं ग्यारह दिन से अस्थमा के कारण काफी परेशान हूं। सांस लेने में दिक्कत हो रही है। थोड़ा चलते ही सांस फूलने लगती है। बार बार खांसी उठती है। बिना इंजेक्शन और दवा के काम नहीं चलता। जिला अस्पताल से दवा ले जा रहे हैं- सियाराम, धनसिंहपुर।
– एक सप्ताह से अस्थमा के कारण परेशान हैं। सीने में काफी जकडऩ हो रही है। सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है। डॉक्टरों ने इनहेलर और दवाएं दी हैं। जिससे कुछ राहत मिली है। अस्थमा बढऩे पर दम घुटता है और बेचैनी होती है- वीरेंद्र, प्रह्लादपुर।
– लोगों को धूल, धुआं और धूप से बचाव करना चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण भी अस्थमा के मरीजों को बढ़ाने का प्रमुख कारण है। धूम्रपान की लत से भी लोग अस्थमा का शिकार हो रहे हैं। अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सर्दी के मौसम में अस्थमा के मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है- डॉ. आनंदस्वरूप, वरिष्ठ फिजिशियन, जिला चिकित्सालय।
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