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मैनपुरी। मान्यता पाने के लिए वित्तविहीन कॉलेज फाइलों में तो विद्यालय परिसर में खेल का मैदान होना दर्शाएं हैं। लेकिन धरातल पर कॉलेजों में खेल के नाम पर दो गज जमीन भी उपलब्ध नहीं दिख रही। इसके चलते खेल प्रतिभाओं को अपनी रुचि के खेलों में बेहतर प्रदर्शन का मौका नहीं मिल पा रहा है। जिम्मेदार मान्यता के समय कागजी कोरम पूरा कर जिम्मेदारी को पूरा मानकर चल रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से मान्यता के लिए इस बात का प्रावधान है, कि संबंधित विद्यालय के पास कम से कम तीन बीघा जमीन पर खेल का मैदान विद्यालय के पास होना चाहिए। जिले में 399 वित्तविहीन कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इनमें से अधिकांश के पास खेल के मैदान नहीं है। लेकिन मान्यता लेने के दौरान सभी ने फाइलों में खेल का मैदान होना दर्शाया है। लेकिन हकीकत इसके उलट है। ऐसे में शासन से निर्धारित की गई खेल शिक्षा के लिए बच्चों को खेलने का मौका नहीं मिल पाता।
इस संबंध में बात करने पर अधिकारी यह बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं, कि जब मान्यता दी गई थी, तब मेरी तैनाती यहां नहीं थी। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, और जिम्मेदार मौन है। खेल मैदान न होने के चलते शासन से निर्धारित शनिवार को बच्चों को खेलने का मौका नहीं मिलता। यदि बच्चों को खेलने का मौका मिले तो जिले में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। समय रहते जिम्मेदार इस तरफ ध्यान दें तो बच्चों का भला हो सके।
399 में से मात्र 20 स्कूलों ने ही किया था प्रतिभाग
वर्ष 2022 में आयोजित जनपदीय युवक समारोह में जिले के 399 वित्तविहीन कॉलेजों में से मात्र 20 विद्यालायों के खिलाड़ियों ने ही प्रतिभाग किया। जिसके बाद चर्चा का बाजार भी गर्म हुआ था, लेकिन किसी जिम्मेदार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। कई कॉलेज तो ऐसे हैं जिनका खेल मैदान कॉलेज से चार से पांच किमी दूरी पर मौजूद है।
खेल शिक्षकों के नाम पर भी खाना पूर्ति
वित्तविहीन कॉलेजों में खेल शिक्षकों की बात करें तो छोटे मैदान में खेले जाने वाले वॉलीबाल, खो-खो, बैडमिंटन जैसे खेलों को बढ़ावा दिया जाता है। खेल शिक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की तैनाती नहीं है, जिसके चलते अनिवार्य शिक्षा में शामिल खेल गतिविधियों में प्रतिभाएं अपना प्रदर्शन नहीं कर पा रही है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने खेल को अनिवार्य विषय घोषित किया है। परिषद के निर्देशानुसार सभी प्रधानाचार्यों की जिम्मेदारी है कि वे खेल मैदानों की व्यवस्था रखें और बच्चों को पर्याप्त खेलने का मौका दिया जाए। यदि किसी बच्चे या अभिभावक की शिकायत मिलती है तो संबंधित विद्यालय पर कार्रवाई की जाएगी। -मनोज कुमार वर्मा, डीआईओएस, मैनपुरी।
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