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कासगंज। कृषि विज्ञान केंद्र मोहनपुरा के द्वारा ग्राम पंचायत पचलाना में गौ आधारित प्राकृतिक खेती विषय पर किसान गोष्ठी एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें किसानों को महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईँ। वहीं किसानों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जबाब भी कृषि वैज्ञानिकों ने दिए।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. बृज विकाश सिंह ने कहा कि कृषि रसायन द्वारा या पारंपरिक खेती में खर्च ज्यादा आता है। मानव स्वस्थ पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। लगातार रसायनों के प्रयोग से मिट्टी के लाभदायक और मित्र कीट खतम होते जा रहे हैं, जिससे खेत में अधिक कीट, रोग और खरपतवार का प्रकोप होता है। डीएपी एवं यूरिया की लागत कम करने के लिए किसान गौ आधारित प्राकृतिक खेती करें। कम लागत में रसायन मुक्त कृषि उत्पाद देती है। मृदा में जीवाश्म कार्बन और उर्वरता में वृद्धि के साथ साथ मित्र कीटों को संरक्षित करती है।
प्राकृतिक खेती के उत्पाद जैसे बीजामृत, जीवामृत, धनजीवामृत, संजीवक, सतपरनीय, नीमस्त्र, ब्रह्मास्त्र, तंबाकू युक्त, खट्टी छाछ इत्यादि, गो-मूत्र, गोबर, गुर, बेसन, पत्तियां मिट्टी इत्यादि से तैयार किए जाते हैं। 1 गाय के मूत्र और गोबर से 10 से 15 एकड़ खेती की जा सकती है। अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विज्ञान केंद्र मोहनपुरा पर संपर्क कर सकते हैं। इस दौरान गांव के किसान और कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मी मौजूद रहे।
ऐसे तैयार करें जीवामृत:
कृषि वैज्ञानिक डॉ. बृज विकाश सिंह ने बताया कि जीवामृत में असंख्य सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। इसे बनाने के लिए 10 लीटर देसी गाय का गो-मूत्र, 10 किलो देसी गाय का गोबर, 1 किलो गुड़, 1 किलो बेसन, 100 ग्राम बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी को 200 लीटर के ड्रम में डालकर पानी से भर दें। दिन में 3 से 4 बार घड़ी की दिशा में चलाएं। 48 घंटे बाद 7 दिन के अंदर 1 एकड़ खेत में प्रयोग करें। इससे उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।
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