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पुलिस आयुक्त कार्यालय, आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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पुलिस निरंतर हाईटेक हो रही है। रजिस्टर से कंप्यूटर, टैब का सफर पूरा करते हुए अब एंड्रायड के नए-नए एप तक पहुंच चुकी है। पर पुलिस की भाषा अभी भी वहीं अंग्रेजों के जमाने वाली है। जनरल डायरी से केस डायरी तक उर्दू और फारसी शब्दों का अधिक प्रयोग हो रहा है, जो कई बार लोगों की समझ से परे हो जाता है। एफआईआर, पुलिस के विवेचना के कागज पढ़ने में परेशानी होती है। लोगों को अनुवादकों या किसी वकील की मदद लेनी पड़ती है। इसी समस्या को देखते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने गत दिनों एक आदेश पारित किया था, जिसमें उर्दू और फारसी के शब्दों के प्रयोग की जगह आसान हिंदी शब्द लिखने के दिशा-निर्देश दिए गए थे। मगर, उत्तर प्रदेश पुलिस अंग्रेजों के समय वाली भाषा ही लिख रही है।
अब नहीं होते उर्दू अनुवादक
शहर के एक थाने के निरीक्षक ने बताया कि हर थाने में आठ नंबर रजिस्टर होता है। इसमें अपराध का लेखा-जोखा रखा जाता है। अंग्रेजों के जमाने से इस रजिस्टर में उर्दू में लिखा जाता रहा है। हर थाने में उर्दू अनुवादक की नियुक्ति थी। वह रजिस्टर पढ़ते थे। पुराने केस आज भी उर्दू में दर्ज हैं। हालांकि अब पुलिस की लिखापढ़ी में हिंदी के शब्दों का इस्तेमाल बढ़ा है। उर्दू अनुवादकों की नई भर्ती नहीं हो रही है।
ये हैं कठिन शब्द की हिंदी
फर्द : उर्दू है : ज्ञाप्ति सूची
फर्द बरामदगी : बरामद सामान की सूची
फर्द हवालगी : हवाले करने की सूची
तामीला : पालन करना
तस्दीक : सत्यापित
अदम तहरीर : जांच की प्रक्रिया में
रुखसत : रवाना किया जाना।
मुजरिम : अपराधी
अदम शनाख्त : शिनाख्त नहीं होना।
अदम तामील : पता सत्यापित नहीं हुआ।
मजरूब : जख्मी, घायल
नामजद : नामित
नजरी : आंखों देखा।
नजरबंद : रोके रखना, कैद करना
वारदात : घटना
आमद : फारसी : आना
मुखबिर : फारसी : गुप्तचर
कलमबंद : फारसी : बयान लिखना
पाकसाफ : फारसी : मुल्जिम को गिरफ्तारी के समय देखा गया, कोई चोट का निशान नहीं था
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