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कासगंज। रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के लिए पीएम प्रणाम योजना शुरू की गई हैं। जिसमें उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य है। लक्ष्य को पाने के लिए किसानों को जागरूक कर उन्हें रासायनिक उर्वरकों के विकल्पों एवं होने वाले नुकसानों के बारे में बताया जा रहा है। किसानों के द्वारा फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग जरूरत से अधिक किया जा रहा है। पिछले सत्र 2022-23 में यूरिया 87363 एमटी (मीट्रिक टन), डीएपी 29086 एमटी, एनपीके 1428 एमटी एवं एमओपी 866 एमटी उपयोग की गई थी। पीएम प्रणाम योजना के अंतर्गत प्रस्तावित लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। वर्ष 2023-24 के लिए यूरिया में लगभग 11000 एमटी की कमी कर 76236 एमटी का लक्ष्य रखा गया है। डीएपी में 3400 एमटी की खपत कर 25666 एमटी उपयोग करने का लक्ष्य है। वहीं एनपीके एवं एमओपी उर्वरक में भी उपयोग के कमी के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
लक्ष्य पाने के लिए किसानों को कर रहे जागरूक
पीएम प्रणाम योजना के अंतर्गत उर्वरक के उपयोग की कमी के लक्ष्य पाने के लिए किसानों को न्याय पंचायत वार गोष्ठी व चौपाल लगाकर जागरूक किया जा रहा है। मृदा परीक्षण कर ही जरूरत के अनुसार ही रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उर्वरकों के कम उपयोग के लिए फसल चक्र के बारे में भी बताया जा रहा है।
नैनों यूरिया व अन्य विकल्पों की दी जा रही जानकारी
दानेदार यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया के उपयोग एवं विधि के बारे में बताया जा रहा है। कैमिकल युक्त यूरिया के स्थान पर कम लागत में नैनो यूरिया से अच्छा उत्पादन पाया जा सकता है। वहीं डीएपी के स्थान पर एसएसपी व एनपीके उर्वरक के उपयोग के लिए जागरूक किया जा रहा है। वहीं गोबर की खाद व अन्य प्राकृतिक खाद के उपयोग के लिए बताया जा रहा है।
रासायनिक उर्वरकों से मिट्टी के भौतिक एवं जैविक गुणों में कमी आने से उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है। पोषक तत्वों में असंतुलन होता है। उर्वरक के उपयोग से पौधा तेजी से बढ़ता है, जिससे पौधा पतला होने से कीटों की संभावना बढ़ती है। रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर गोबर की खाद और जैविक खेती को बढ़ावा दें। – अवधेश मिश्र, जिला कृषि अधिकारी।
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