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सोरोंजी। महाकवि संत तुलसीदास की जन्मस्थली में ही तुलसी शोध संस्थान लापरवाही का शिकार बना हुआ है। पालिका प्रशासन के द्वारा संस्थान के विकास के लिए कार्य नहीं किए जा रहे हैं। साहित्यकारों ने जिलाधिकारी से शोध संस्थान को अधिग्रहित कर जिला प्रशासन के द्वारा संस्थान को सक्रिय किए जाने की मांग की है। पांच वर्ष पहले संत तुलसीदास इंटर कॉलेज के प्रांगण में तुलसी शोध संस्थान के लिए भवन का निर्माण पूर्व पालिका अध्यक्ष अर्चना यादव के कार्यकाल में किया गया। इसके बाद आगामी पांच वर्षों कोई कार्य नहीं कराया गया। निवर्तमान पालिकाध्यक्ष के द्वारा कार्यकाल के अंतिम दिनों में भवान का आनन-फानन में रंग रोगन करा कर उद्घाटन कर दिया गया। जिसमें राजनैतिक लोगों को सर्वेसर्वा बना दिया गया। शोध संस्थान में जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी अथवा अधिशासी अधिकारी को कोई भी वित्तीय हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, जिससे साहित्यिक गतिविधि शून्य हैं। न किताबों की व्यवस्था हो पा रही हैं और नहीं व्यवस्थाएं पूर्ण हैं, जिससे शोधार्थी वहां पहुंचें।
तुलसी साहित्य प्रेमी डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित एवं डॉ. प्रभाकर पाराशरी ने तुलसी शोध संस्थान को अधिग्रहित करने की मांग की है। जिससे शोध संस्थान में सक्रिय हो सके।
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