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कासगंज। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम आदित्य चतुर्वेदी की कोर्ट ने नाबालिग को अगवा कर बिक्री करने के मामले में आरोपी बने मां-बेटे के साथ खरीदार को दोषी पाया। खरीदार पर दुष्कर्म का आरोप साबित हो गया। कोर्ट ने बेटे को 7 साल व मां को तीन साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही खरीदार को 7 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीनों दोषियों पर 2.15 लाख का जुर्माना लगाया है।
सिकंदरपुर वैश्य के एक गांव में 3 अक्तूबर 2014 को चाकरुपर गांव निवासी भगवान देवी अपने पुत्र रामदास के साथ कपड़ा धुलवाने के लिए गई। आरोप है वह कपड़ा धुलाई करने वाली महिला की बेटी को म्यांऊ गांव बाजार कराने के बहाने ले गई। जब काफी देर तक बेटी घर वापस नहीं लौटी तो उसकी मां को चिंता हुई। वह भगवान देवी के घर पर पहुंची, लेकिन उसके घर पर ताला लगा मिला। इस मामले में जब पुलिस से शिकायत की गई, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। उच्चाधिकारियों से शिकायत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला।
पीड़िता ने कोर्ट के सहारे रिपोर्ट दर्ज कराई। कोर्ट के आदेश पर पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना शुरू की। पुलिस की जांच में संजय निवासी एका फिरोजाबाद का नाम प्रकाश में आया। पुलिस ने लगभग सवा साल बाद नाबालिग को बरामद की। इस बीच वह गर्भवती हो गई थी, उसने एक बेटी को जन्म दिया। पुलिस ने उसके बयान दर्ज कराए। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संजीव दरक ने मामले की पैरवी की।
अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने रामदास और उसकी मां भगवान देवी को नाबालिग को बेचने का दोषी माना है। उसने 25 हजार रुपये में किशोरी को बेच दिया था। कोर्ट ने रामदास को धारा 363 में 3 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना, 366 में 5 साल की सजा 20 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 372 व 373 में 7-7 साल की सजा और 30-30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जबकि उसकी मां पर धारा 363 में 1 साल की सजा और 5 हजार रुपये का जुर्माना, 366 में 3 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 372 व 373 में 3-3 साल की सजा के साथ 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाई है।
इसी तरह से कोर्ट ने संजय को धारा 363 में 3 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, 366 में 5 साल की सजा व 20 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 376 और पॉक्सो में 7-7 साल की सजा के साथ 30-30 हजार रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दी।
पुलिस ने निकाले नाम, कोर्ट ने माना दोषी
पुलिस ने अपनी विवेचना में मां बेटे के नाम निकाल दिए थे। प्रकाश में आए संजय को दोषी मानते हुए आरोप पत्र दाखिल किया था, लेकिन कोर्ट ने पुलिस की जांच को न मानकर मां बेटे को तलब किया। कोर्ट ने दोनों को नाबालिग को अगवा कर बिक्री करने का दोषी माना।
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