Wednesday, January 8, 2025
Home Agra Agra News:नहीं बुझ रही खेतों, जंगली पशु-पक्षियों की प्यास, बूढ़ी गंगा मे पानी न होने से श्रद्धालु उदास – Thirst Of Wild Animals And Birds Is Not Quenching, Devotees Are Sad Due To Lack Of Water In Old Ganga

Agra News:नहीं बुझ रही खेतों, जंगली पशु-पक्षियों की प्यास, बूढ़ी गंगा मे पानी न होने से श्रद्धालु उदास – Thirst Of Wild Animals And Birds Is Not Quenching, Devotees Are Sad Due To Lack Of Water In Old Ganga

by amitsagar
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पटियाली (कासगंज)। नगर की पौराणिक बूढ़ी गंगा के सूख जाने से हजारों बीघे जमीन की फसलें प्रभावित हुई हैं। वहीं, पशुओं और जीव जंतुओं को अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। इसके साथ ही जो लोग बूढ़ी गंगा पर अंतिम संस्कार के लिए शवों को ले जाते हैं उनको भी पानी न होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जब कोई गंगा स्नान होता है तो उस समय गंगा मैया में आस्था रखने वाले श्रद्धालु गंगा में पानी न होने की वजह से मायूस हो जाते हैं। कुछ दिन बाद दशहरा आने वाला है और बूढ़ी गंगा सूखी पड़ी है। ऐसे में आस्था प्रेमियों में उदासी छाई हुई है। नगर व क्षेत्रवासियों ने जनप्रतिनिधियों व उच्चाधिकारियों से मांग की है कि बूढ़ी गंगा में जल छोड़े जाने की व्यवस्था कराई जाए। मांग करने वालों में सुनील दत्त मिश्रा, खन्ना कश्यप, सुरेंद्र गुप्ता, मास्टर इदरीस अली, रामप्रकाश आढ़तिया, राजू वाजपेयी, पवन सक्सेना, मुक़ीम अब्बासी, मुजाहिद हुसैन आदि हैं।

– जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों को सूखी पड़ी बूढ़ी गंगा में जल की धारा लाने के लिए भरपूर प्रयास करना चाहिए। बूढ़ी गंगा में अगर पानी आएगा तो क्षेत्र में खुशहाली लाएगा। – डाॅ. अरविंद कुमार

– बूढ़ी गंगा में पानी आने से क्षेत्र के किसानों में खुशहाली लौटेगी और जलस्तर बढ़ेगा। इस ओर उच्चाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए। संजीव शाक्य, किसान

– कुछ दिन बाद दशहरा है। बूढ़ी गंगा पर मेला लगता है और श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं लेकिन सूखी पड़ी बूढ़ी गंगा को देखकर मायूस लौट जाते हैं। उनकी आस्था को चोट पहुंचती है। जनप्रतिनिधियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। – मनोज यादव

– इस समय तेज धूप और भीषण गर्मी पड़ रही है। पालतू पशुओं को तो पानी पीने को मिल जाता है लेकिऩ जंगली जानवरों व अन्य जीव-जंतुओं को अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। बूढ़ी गंगा में पानी होना बहुत जरूरी है। – मोहम्मद मारूफ कुरैशी

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