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सोमवार को पिता और भाई फ्लाइट से दीपक का शव लेकर दिल्ली पहुंचे। इसके बाद एंबुलेंस से शाम छह बजे आगरा में घर पर पहुंचे। इससे पहले ही घर पर रिश्तेदार और आसपास के लोग एकत्रित हो गए थे। अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली गई थी। दीपक का शव घर पहुंचते ही चीख-पुकार मच गई। अंतिम संस्कार में भाई विक्की ने मुखाग्नि दी।
दीपक तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उनकी 31 दिसंबर 2021 को नौकरी लगी थी। पिता और मां बेटे के सिर पर सेहरा बांधने का सपना देख रहे थे। मां सीमा से पुडुचेरी पहुंचने पर बात की थी। दीपक ने कहा था कि मां यहां के बाद घर आऊंगा। नया साल मनाऊंगा। अब मां रोते हुए बार-बार यही बोल रहीं थीं कि बेटे तुम्हारे लिए बहुत सपने देखे थे। तुमने आने का वादा किया था। सोचा नहीं था कि तुम इस तरह आओगे। बेटा, एक बार उठ तो जाओ… फिर कभी अपने से दूर नहीं जाने दूंगी। वह बार-बार बेहोश हो जा रहीं थीं।
परिवार को दोस्तों ने बताया कि शाम को हम लोग समुद्र के किनारे पर थे। दीपक नहाने के लिए समुद्र में गया। तेज लहरों के बीच फंस गया। पहले लगा कि वो मजाक कर रहा है। बाद में वो दिखाई नहीं दिया तो बचाने के लिए मदद मांगी। अफसोस है कि हम लोग कुछ भी नहीं कर सके।
दीपक ने घर के पड़ोस में रहने वाले सोनू यादव के साथ बचपन गुजारे थे। दोनों साथ पढ़ते और साथ खेलते थे। जब से दीपक की मौत की खबर मिली, सोनू ने खाना नहीं खाया। शव के पहुंचते ही वो फूट-फूटकर रोने लगा। कह रहा था कि उसके बचपन का दोस्त चला गया।
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