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मैनपुरी। विकास खंड करहल की ग्राम पंचायत देवकली में पंचायत भवन का लिंटर गिरने के बाद दोबारा डाला गया। इसे भी जांच में कंडम घोषित कर दिया गया। इसके बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई। मामले को दबाने के लिए फिर से गुपचुप लिंटर तोड़ दिया गया। यहां तक कि ग्राम प्रधान और वर्तमान पंचायत सचिव तक को इसकी जानकारी नहीं हो सकी। कहीं न कहीं दोबारा लिंटर डलवाकर जांच अधिकारी की रिपोर्ट को झूठा साबित करने की तैयारी की गई थी। अब लोग जिला पंचायत राज अधिकारी पर मामले को दबाने को लेकर अंगुली उठा रहे हैं।
एक सितंबर 2021 को ग्राम पंचायत देवकली के पंचायत भवन का लिंटर मानकों की अनदेखी के चलते गिर गया था। अमर उजाला में दो सितंबर 2021 को खबर प्रकाशित होने के बाद सीडीओ विनोद कुमार ने जांच के लिए अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति को जांच में कई कमियां मिली थीं। इसमें भवन निर्माण में मानकों की अनदेखी के साथ ही टेंडर प्रक्रिया भी गलत पाई गई थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर दो जून 2022 को सीडीओ और डीएम के अनुमोदन पर तत्कालीन सचिव को निलंबित कर जांच खंड विकास अधिकारी मैनपुरी श्वेतांक पांडेय को सौंपी गई थी।
जांच रिपोर्ट में दोबारा डाले गए लिंटर को जांच अधिकारी और अवर अभियंता ने कंडम माना था। साथ ही टेंडर प्रक्रिया व अन्य आरोप भी सिद्घ हुए थे। एक नवंबर 2022 को ये जांच सौंपी गई। इसके बाद भी पंचायत राज विभाग ने कार्रवाई करने के बजाए मामले को दबा दिया।
रविवार को गुपचुप तरीके से एक बार फिर देवकली स्थित पंचायत भवन का लिंटर तुड़वा दिया गया। आरोप है कि विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में ये कार्य किया जा रहा है। दोषी कर्मचारियों को बचाने के लिए दोबारा लिंटर डलवाने की तैयारी थी। इससे कि जांच अधिकारी की रिपोर्ट को फर्जी साबित किया जा सके। लोगों के मुताबिक जांच अधिकारी की रिपोर्ट को फर्जी साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।
पंचायत सचिव बोले, नहीं है जानकारी
ग्राम पंचायत देवकली में वर्तमान में पंचायत सचिव के पद पर गौरव यादव की तैनाती है। गौरव यादव से पंचायत भवन का लिंटर तुड़वाने के मामले में जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने तत्काल मौके पर पहुंचकर देखा तो यहां लिंटर टूटा मिला। ग्राम प्रधान से भी उन्होंने बात की, लेकिन उन्होंने भी लिंटर तोड़े जाने की जानकारी होने से साफ मना कर दिया। ऐसे में सवाल ये भी है कि आखिर कैसे ये लिंटर बिना अनुमति के तोड़ दिया गया।
मैनपुरी। विकास खंड करहल की ग्राम पंचायत देवकली में पंचायत भवन का लिंटर गिरने के बाद दोबारा डाला गया। इसे भी जांच में कंडम घोषित कर दिया गया। इसके बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई। मामले को दबाने के लिए फिर से गुपचुप लिंटर तोड़ दिया गया। यहां तक कि ग्राम प्रधान और वर्तमान पंचायत सचिव तक को इसकी जानकारी नहीं हो सकी। कहीं न कहीं दोबारा लिंटर डलवाकर जांच अधिकारी की रिपोर्ट को झूठा साबित करने की तैयारी की गई थी। अब लोग जिला पंचायत राज अधिकारी पर मामले को दबाने को लेकर अंगुली उठा रहे हैं।
एक सितंबर 2021 को ग्राम पंचायत देवकली के पंचायत भवन का लिंटर मानकों की अनदेखी के चलते गिर गया था। अमर उजाला में दो सितंबर 2021 को खबर प्रकाशित होने के बाद सीडीओ विनोद कुमार ने जांच के लिए अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति को जांच में कई कमियां मिली थीं। इसमें भवन निर्माण में मानकों की अनदेखी के साथ ही टेंडर प्रक्रिया भी गलत पाई गई थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर दो जून 2022 को सीडीओ और डीएम के अनुमोदन पर तत्कालीन सचिव को निलंबित कर जांच खंड विकास अधिकारी मैनपुरी श्वेतांक पांडेय को सौंपी गई थी।
जांच रिपोर्ट में दोबारा डाले गए लिंटर को जांच अधिकारी और अवर अभियंता ने कंडम माना था। साथ ही टेंडर प्रक्रिया व अन्य आरोप भी सिद्घ हुए थे। एक नवंबर 2022 को ये जांच सौंपी गई। इसके बाद भी पंचायत राज विभाग ने कार्रवाई करने के बजाए मामले को दबा दिया।
रविवार को गुपचुप तरीके से एक बार फिर देवकली स्थित पंचायत भवन का लिंटर तुड़वा दिया गया। आरोप है कि विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में ये कार्य किया जा रहा है। दोषी कर्मचारियों को बचाने के लिए दोबारा लिंटर डलवाने की तैयारी थी। इससे कि जांच अधिकारी की रिपोर्ट को फर्जी साबित किया जा सके। लोगों के मुताबिक जांच अधिकारी की रिपोर्ट को फर्जी साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।
पंचायत सचिव बोले, नहीं है जानकारी
ग्राम पंचायत देवकली में वर्तमान में पंचायत सचिव के पद पर गौरव यादव की तैनाती है। गौरव यादव से पंचायत भवन का लिंटर तुड़वाने के मामले में जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने तत्काल मौके पर पहुंचकर देखा तो यहां लिंटर टूटा मिला। ग्राम प्रधान से भी उन्होंने बात की, लेकिन उन्होंने भी लिंटर तोड़े जाने की जानकारी होने से साफ मना कर दिया। ऐसे में सवाल ये भी है कि आखिर कैसे ये लिंटर बिना अनुमति के तोड़ दिया गया।
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