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कासगंज। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम आदित्य चतुर्वेदी के न्यायालय ने किशोरी को अगवा कर दुष्कर्म करने के दोषी को 20 साल की सजा सुनाई है। जबकि किशोरी को अगवा करने में सहयोग करने पर एक दोषी को सात साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों दोषियों पर 90 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
20 अक्तूबर 2013 को फोन करके घर से बाहर बुलाने के बाद किशोरी को बहला फुसलाकर अगवा कर लिया गया। परिजनों ने इस मामले में ओमप्रकाश, कालीचरन, प्रदीप कुमार के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया। पुलिस ने किशोरी को बरामद कर आरोपियों को जेल भेज दिया। पुलिस ने किशोरी के बयान दर्ज कराए। किशोरी ने अपने साथ 22-23 दिन तक कमरे में बंद कर दुष्कर्म किए जाने का आरोप लगाया। पुलिस ने मामले की विवेचना की। विवेचना के दौरान अगवा करने में सहयोग करने में मिथलेश का नाम प्रकाश में आया। इसके बाद पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिए। कोर्ट ने कालीचरन को बाल अपचारी मानते हुए उसकी पत्रावली किशोर न्यायालय को भेज दी गई। वहीं प्रदीप की मुकदमा के दौरान मौत हो गई। कोर्ट ने पत्रावली पर मौजूद साक्ष्य एवं गवाहों के बयानों के आधार पर ओम प्रकाश को लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के तहत 20 साल की सजा व 30 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 366 के तहत 7 साल की सजा व 20 हजारा का जुर्माना, धारा 363 के तहत 5 वर्ष की सजा व 10 हजार का जुर्माना लगाया। जबकि मिथलेश पर धारा 366 के तहत 7 साल की सजा व 20 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 363 के तहत 5 साल की सजा व 10 हजार का जुर्माना लगाया। जुर्माने की धनराशि पीड़िता के पुनर्वासित करने के उद्देश्य से प्रतिकर के रूप में दी जाएगी। समस्त सजा एक साथ चलेंगी।
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